मैं रोज़े के दौरान डेजर्ट एयर कूलर से निकलने वाली हवा को नाक द्वारा अंदर लेने के हुक्म के बारे में पूछना चाहता हूँ, क्योंकि इस उपकरण को पानी की आपूर्ति की जाती है ताकि यह हवा को नम कर सके।
रोज़े के दौरान रेगिस्तानी एयर कूलर की हवा खाने का हुक्म, जबकि कूलर में पानी की आपूर्ति होती है
प्रश्न: 367710
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
सर्व प्रथम :
रमजान में दिन के दौरान डेजर्ट एयर कूलर का उपयोग करने में कोई आपत्ति नहीं है, और इससे निकलने वाली हवा में सांस लेना रोज़ा तोड़ने वाला नहीं माना जाएगा, भले ही एयर कूलर को पानी की आपूर्ति की जाए। अगर यह मान लें कि उसमें से कभी-कभी पानी की बूंदें निकलती हैं, तो वे हवा में लुप्त हो जाती हैं। इसलिए जलवाष्प की कोई भी बूंद आदमी के मुँह या नाक में नहीं जाती है और न ही उसमें से कुछ भी उसके पेट तक पहुँचता है।
हवा में साँस लेना अनुमेय है। और एयर कूलर से आने वाली हवा में, उदाहरण के लिए, बखूर (धूनी) के समान कोई पदार्थ नहीं होता है, तथा उसमें जो पानी डाला जाता है उससे निकलने वाली बूँदों का उसकी हवा में कोई पदार्थ नहीं होता है, उसमें कूलर द्वारा उत्सर्जित हवा में कोई पदार्थ नहीं होता है, खासकर यदि आप उससे दूर रहते हैं और आप कूलर से निकलने वाली हवा के ठीक बगल में नहीं हैं।
अगर ऐसा होता है कि एक रोज़ेदार एयर कूलर के क़रीब था और उसे यकीन है कि पानी की कुछ बूंदें उसके मुँह में चली गईं, तो उसपर अनिवार्य है कि उसे थूक दे।
दूसरा :
एयर कूलर की उपस्थिति से व्यक्ति को प्यास कम लग सकती है, जिस तरह कि ठंड के मौसम में रोज़ा रखने पर उसे प्यास कम लगती है। तो यह उसके रोज़े को प्रभावित नहीं करता है। और यह हवा में जल वाष्प का प्रभाव नहीं है; बल्कि यह वातावरण की शीतलता (ठंडे तापमान) के कारण होता है जो एयर कूलर से उत्पन्न होता है, और अन्य प्रकार के एयर कंडीशनर से उत्पन्न होने वाली ठंडी हवा (शीतलता) इस डेजर्ट एयर कूलर से उत्पन्न होने वाली हवा की तुलना में बहुत अधिक (ठंडी) होती है। साँस के द्वारा ठंडी हवा लेने से शरीर या सिर पर पानी डालने से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि पानी की नमी प्यास के अहसास को कम कर देती है। बल्कि त्वचा पानी को सोख लेती है, लेकिन इससे रोज़ा नहीं टूटता।
बुखारी रहिमहुल्लाह ने कहा : रोज़ा रखने वाले के लिए स्नान करने का अध्याय। इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा ने एक कपड़ा गीला किया और उसे अपने ऊपर डाल लिया, जबकि वह रोज़े की हालत में थे।
अश-शा'बी रहिमहुल्लाह ने 'हम्माम' (स्नानागार) में प्रवेश किया जबकि वह रोज़ा रखे हुए थे… तथा अल-हसन ने कहा : रोज़ेदार के लिए कुल्ली करने और ठंडक प्राप्त करने में कोई आपत्ति नहीं है… अनस रज़ियल्लाहु अन्हु ने कहा : मेरे पास एक आब-ज़न (टब) है जिसमें मैं रोज़े की स्थिति में बैठता हूँ।
हाफ़िज़ इब्ने हजर ने “फ़त्हुल-बारी” (4/197) में कहा : “आब-ज़न : हौज़ की तरह खोखला किया हुआ पत्थर। ऐसा लगता है कि आब-ज़न पानी से भरा हुआ था। तो जब अनस रज़ियल्लाहु अन्हु को गर्मी लगती थी, तो वह उसमें प्रवेश करके शीतलता प्राप्त करते थे।” उद्धरण समाप्त हुआ।
ऐसा लगता है कि “आब-ज़न” वैसा ही था जिसे आजकल “बाथटब” के नाम से जाना जाता है।
अबू बक्र अल-असरम ने अपनी इस्नाद के साथ वर्णन किया कि : इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा रमज़ान के महीने में अपने कुछ साथियों के साथ रोज़े की हालत में स्नानागार में दाखिल हुए। “अल-मुग़्नी” (3/18) से उद्धरण समाप्त हुआ।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछा गया : “रमज़ान में दिन के दौरान एक से अधिक बार नहाने, या हर समय एयर कंडीशनर (या एयर कूलर) के पास बैठने का क्या हुक्म है, जबकि यह कूलर नमी पैदा करता हैॽ
तो उन्होंने उत्तर दिया : “पहले एक उत्तर में बात की जा चुकी है, जिससे पता चलता है कि यह अनुमेय है और इसमें कोई हर्ज नहीं है। तथा रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम गर्मी के कारण या प्यास के कारण अपने सिर पर पानी डालते थे, जबकि आप रोज़े की हालत में होते थे। और इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा रोज़े की हालत में गर्मी या प्यास की तीव्रता को कम करने के लिए अपने कपड़े को पानी से गीला करते थे। तथा नमी का [रोज़े पर] कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, क्योंकि वह पानी नहीं है जो पेट तक पहुँचता है।” “मजमूओ फतावा इब्ने उसैमीन” (19/285)।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर