डाउनलोड करें
0 / 0

हज्ज करना सर्वश्रेष्ठ है या दान करना ?

प्रश्न: 36875

यदि इंसान अनिवार्य हज्ज कर चुका है, तो क्या बेहतर यह है कि वह पुनः नफ्ली हज्ज करे या कि उस धन को दान कर दे ॽ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

मूल सिद्धांत यह है कि नफ्ली हज्ज उस धन को दान करने से बेहतर है जिसे वह हज्ज में खर्च करेगा। किंतु कुछ ऐसे कारण हो सकते हैं जो उस धन को दान करने को नफ्ली हज्ज से बेहतर बना सकते हैं, जैसेकि यदि वह दान अल्लाह के रास्ते में जिहाद के अंदर, या अल्लाह की तरफ निमंत्रण देने में, या ऐसे लोगों पर हो जा परेशान हाल हैं विशेषकर यदि वे लोग आदमी के रिश्तेदारों में से हैं।

शैखुल इस्लाम इब्ने तैमियह ने “अल-इख्तियारात” (पृष्ठ : 206) में फरमाया :

“शरीअत के निर्धारित तरीक़े पर हज्ज करना उस सद्क़ा (दान) से बेहतर है जो अनिवार्य नहीं है। परंतु अगर उसके ऐसे रिश्तेदार हों जो ज़रूरतमंद हों तो उनपर सद्क़ा करना सर्वश्रेष्ठ है। इसी तरह, यदि कुछ ऐसे लोग हों जो उसके खर्च के ज़रूरतमंद हों (तो दान करना बेहतर है), लेकिन यदि दोनों ही चीज़ें ऐच्छिक हों, तो हज्ज करना सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि वह शारीरिक व आर्थिक उपासना है। इसी तरह क़ुर्बानी करना और अक़ीक़ा करना उनकी क़ीमत को दान करने से बेहतर है, लेकिन यह इस शर्त के साथ है कि वह हज्ज के रास्ते में अनिवार्य कामों (कर्तव्यों) को करता रहे, निषेद्ध (हराम) कामों से बचता रहे, पाँचों समय की नमाज़ें पढ़ता रहे, सच्ची बात बोले, अमानत की अदायगी करे और किसी पर भी ज़ियादती न करे।” अंत हुआ।

तथा शैख इब्ने बाज़ रहिमहुल्लाह ने फरमाया :

“हज्ज और उम्रा करना उन दोनों में खर्च होने वाले धन को दान करने से बेहतर है उस व्यक्ति के लिए जिसका उद्देश्य केवल अल्लाह की प्रसन्नता प्राप्त करना है, और वह शरीअत के बताए हुए तरीक़े के अनुसार हज्ज के कार्यकर्म को अदा करे, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रमाणित है कि आप ने फरमाया :

“एक उम्रा से दूसरा उम्रा, उनके बीच के गुनाहों का कफ्फारा है, और मबरूर हज्ज का बदला जन्नत ही है।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1773) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1349) ने रिवायत किया है।

तथा आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया :

“रमज़ान के महीने में उम्रा करना एक हज्ज के बराबर है।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 1782) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 1256) ने रिवायत किया है।

तथा उन्हों ने यह भी फरमाया :

जिस व्यक्ति ने फर्ज़ हज्ज कर लिया है उसके लिए बेहतर है कि वह दूसरे हर्ज का खर्च अल्लाह के रास्ते में जिहाद करनेवालों के लिए अनुदान कर दे, क्योंकि जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रश्न किया गया कि कौन सा अमल सर्वश्रेष्ठ है तो आप ने फरमाया :

अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान रखना। कहा गया: फिर कौन ॽ आप ने फरमाया : अल्लाह के मार्ग में जिहाद करना। कहा गया: फिर कौन ॽ आप ने फरमाया : मबरूर हज्ज।” इसे बुखारी (हदीस संख्या: 26) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 83) ने रिवायत किया है।

इस हदीस में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हज्ज को जिहाद के बाद करार दिया है, और यहाँ पर अभिप्राय नफ्ली (ऐच्छिक) हज्ज है, क्योंकि फर्ज़ हज्ज शक्ति होने के साथ इस्लाम के स्तंभों में से एक स्तंभ है। तथा सहीहैन (यानी सहीह बुखारी व सहीह मुस्लिम) में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से वर्णित है कि आप ने फरमाया : “जिसने किसी गाज़ी (मुजाहिद) को तैयार किया तो उसने गज़्वा (जिहाद) किया, और जिस व्यक्ति ने उसके परिवार की भलाई के साथ देखरेख की तो उसने गज़्वा किया।”

और इसमें कोई संदेह नहीं है कि अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वाले आर्थिक सहायता के सबसे अधिक ज़रूरतमंद होते हैं, और उनके विषय में खर्च करना उपर्युक्त दोनों हदीसों और उनके अलावा अन्य हदीसों की रोशनी में नफ्ली हज्ज में खर्च करने से बेहतर है।” अंत हुआ।

तथा उन्हों ने यह भी फरमाया :

जिस व्यक्ति ने फर्ज़ हज्ज व उम्रा कर लिया है उसके लिए सर्वश्रेष्ठ यह है कि वह नफ्ली हज्ज और नफ्ली उम्रा की लागत को अल्लाह के रास्ते में जिहाद करनेवालों की सहायत करने में खर्च करे, क्योंकि शरई जिहाद नफ्ली हज्ज और नफ्ली उम्रा से बेहतर है।” अंत हुआ।

तथा शैख इब्ने बाज़ से पूछा गया कि : क्या बेहतर यह है कि मस्जिद के निर्माण के लिए अनुदान किया जाए या अपने माता पिता की ओर से हज्ज किया जाए ॽ

तो उन्हों ने उत्तर दिया : यदि मस्जिद के निर्माण की सख्त ज़रूरत है तो एच्छिक हज्ज के खर्च (लागत) को मस्जिद के निर्माण में खर्च किया जायेगा क्योंकि उसका लाभ बड़ा है और निरंतर रहने वाला है, तथा इससे मुसलमानों की जमाअत के साथ नमाज़ पढ़ने पर सहयाता भी होती है। किंतु यदि नफ्ली हज्ज के खर्च (लागत) को मस्जिद के निर्माण में खर्च करने की सख्त ज़रूरत नहीं है क्योंकि हज्ज करने वाले के अलावा कोई दूसरा व्यक्ति उसका निर्माण करने वाला उपलब्ध है, तो उसका एच्छिक तौर पर अपने माता पिता की ओर से स्वयं हज्ज करना या दूसरे भरोसेमंद व्यक्ति से करवाना इन-शा अल्लाह बेहतर है। किंतु वे दोनों एक ही हज्ज में एकत्रित नहीं किए जायेंगे, बल्कि हर एक के लिए अलग अलग हज्ज करेगा।” अंत हुआ।

देखिए : मजमूओ फतावा शैख इब्ने बाज़ (16/368-372).

शैख इब्ने उसैमीन ने फरमाया :

हमारे विचार में जिहाद के अंदर खर्च करना उसे नफ्ली हज्ज में खर्च करने से बेहतर है, क्योंकि नफ्ली जिहाद, नफ्ली हज्ज से बेहतर है।” कुछ परिवर्तन के साथ अंत हुआ।

फतावा इब्ने उसैमीन (2/677).

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

at email

डाक सेवा की सदस्यता लें

साइट की नवीन समाचार और आवधिक अपडेट प्राप्त करने के लिए मेलिंग सूची में शामिल हों

phone

इस्लाम प्रश्न और उत्तर एप्लिकेशन

सामग्री का तेज एवं इंटरनेट के बिना ब्राउज़ करने की क्षमता

download iosdownload android
at email

डाक सेवा की सदस्यता लें

साइट की नवीन समाचार और आवधिक अपडेट प्राप्त करने के लिए मेलिंग सूची में शामिल हों

phone

इस्लाम प्रश्न और उत्तर एप्लिकेशन

सामग्री का तेज एवं इंटरनेट के बिना ब्राउज़ करने की क्षमता

download iosdownload android