क़ुरआन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि किसी भी देश और किसी भी समाज में महिलाओं को कैसे कपड़े पहनने चाहिए, चाहे वह इस्लामी देश में हो या गैर-इस्लामी देश में। मैं जानना चाहता हूँ कि किसी भी देश या समाज में पुरुषों को कैसे कपड़े पहनने चाहिए, चाहे वह इस्लामी देश में हो या गैर-इस्लामी देश में?
पुरुषों के लिए पोशाक के नियम का सारांश
प्रश्न: 36891
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
ये पुरुषों के लिए पोशाक के अहकाम का एक संक्षिप्त सार है। हम अल्लाह से प्रश्न करते हैं कि इसे पर्याप्त और लाभकारी बनाए।
1-जो कुछ भी पहना जाता है, उसके बारे में मूल सिद्धांत यह है कि वह हलाल और जायज़ है, सिवाय उसके कि जिसके बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण आया है कि वह हराम है, जैसे कि पुरुषों के लिए रेशम। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “ये दोनों [यानी सोना और रेशम] मेरी उम्मत के पुरुषों के लिए हराम (निषिद्ध) हैं और उनकी महिलाओं के लिए हलाल (जायज़) हैं।” इसे इब्ने माजा (हदीस संख्या : 3640) ने रिवायत किया है और अलबानी ने सहीह इब्ने माजा में सहीह कहा है।
इसी तरह मरे हुए जानवर की खाल को पहनना जायज़ नहीं है, जब तक कि उसे दबाग़त न दिया गया है। (कच्चे चमड़े को पका कर साफ़ करने को दबाग़त कहते हैं)।
जहाँ तक ऊन, बालों और रोवें से बने कपड़ों की बात है, तो वे पवित्र और जायज़ हैं। दबाग़त (टैनिंग) के बाद मृत जानवरों की खाल के उपयोग करने के हुक्म के बारे में अधिक जानकारी के लिए प्रश्न संख्या (1695) और (9022) देखें।
2. ऐसे पारदर्शी कपड़े पहनना जायज़ नहीं है जो गुप्तांगों को न ढकते हों।
3- बहुदेववादियों और काफ़िरों के पहनावे की नकल करना हराम है, इसलिए ऐसे कपड़े पहनना जायज़ नहीं है जो काफ़िरों के लिए ख़ास हों।
अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन अल-आस से वर्णित है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुझे कुसुम से रंगे हुए दो वस्त्र पहने हुए देखा, तो फरमाया : “ये काफ़िरों के कपड़े हैं, इसलिए इन्हें मत पहनो।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 2077) ने रिवायत किया है।
4- पहनावे में महिलाओं के लिए पुरुषों की नकल करना और पुरुषों के लिए महिलाओं की नकल करना हराम है। क्योंकि “नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन पुरुषों पर लानत की है जो महिलाओं की नकल करते हैं और उन महिलाओं पर जो पुरुषों की नकल करती हैं।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 5546) ने रिवायत किया है।
5- सुन्नत यह है कि मुसलमान अपना कपड़ा पहनना दाहिने से शुरू करे और बिस्मिल्लाह (अल्लाह के नाम पर) कहे, और कपड़ा उतारते समय बाएँ से शुरू करे।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जब तुम कपड़े पहनो और जब तुम वुज़ू करो, तो दाहिनी ओर से शुरू करो।” इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 4141) ने रिवायत किया है और शैख़ अलबानी ने “सहीहुल-जामे’” (787) में इसे सहीह कहा है।
6- जो व्यक्ति नया कपड़ा पहने, उसके लिए अल्लाह का शुक्र अदा करना और दुआ करना सुन्नत है।
अबू सईद रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है कि उन्होंने कहा : जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कोई नया पोशाक पहनते, तो आप उसे उसके नाम से पुकारते, चाहे वह पगड़ी हो, या कमीज या लबादा, फिर आप कहते : “अल्लाहुम्मा लकल-हम्द अन्ता कसौतनीहि, असअलुका खैरहू व खैरा मा सुनिआ लहू व अऊज़ो बिका मिन शर्रिही वा शर्रे मा सुनिआ लहू” (ऐ अल्लाह! तेरे ही लिए सब प्रशंसा है, तूने मुझे यह पहनाया। मैं तुझसे इसकी भलाई और उस चीज़ की भलाई माँगता हूँ, जिसके लिए यह बनाया गया है। तथा मैं तेरी शरण में आता हूँ इसकी बुराई से और उस वस्तु की बुराई से जिसके लिए यह बनाया गया है।” इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 1767) और अबू दाऊद (हदीस संख्या : 4020) ने रिवायत किया है। तथा शैख़ अलबानी ने “सहीहुल-जामे’” (4664) में इसे सहीह कहा है।
7. बिना अहंकार या अतिशयोक्ति के अपने कपड़ों की सफाई-सुथराई का ध्यान रखना सुन्नत है।
अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आपने फरमाया : “जिस व्यक्ति के दिल में एक कण के बराबर अहंकार है, वह स्वर्ग में प्रवेश नहीं करेगा।" एक आदमी ने कहा : “एक आदमी को पसंद है कि उसके कपड़े अच्छे हों और उसके जूते अच्छे हों।” आपने फरमाया : “अल्लाह सुंदर है और सुंदरता से प्यार करता है। अहंकार का अर्थ है : सत्य को अस्वीकार करना और लोगों को हेय दृष्टि से देखना।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 91) ने रिवायत किया है।
8. सफेद कपड़े पहनना मुस्तहब है।
इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित कि उन्होंने कहा : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “अपने सफेद कपड़े पहनो, क्योंकि वे तुम्हारे सबसे अच्छे कपड़ों में से हैं, और अपने मुर्दों को उन्हीं में कफन दो।” इसे तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 994) ने रिवायत किया है और यह हदीस हसन सहीह है और इसी को विद्वानों ने मुस्तहब माना है। अबू दाऊद (हदीस संख्या : 4061), इब्ने माजा (हदीस संख्या : 1472)
9. एक मुसलमान के लिए अपने पहने हुए सभी कपड़ों को अपने टखनों के नीचे तक लटकाना हराम है। क्योंकि कपड़ों की सीमा टखनों तक है।
अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है, वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आपने फरमाया : “तहबंद (नीचे के वस्त्र) का जो हिस्सा टखनों के नीचे है, वह आग में है।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 5787) ने रिवायतर किया है।
तथा अबू ज़र रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है, वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत करते हैं कि आपने फरमाया : “तीन लोग ऐसे हैं जिनसे अल्लाह क़ियामत के दिन बात नहीं करेगा और न उनकी तरफ़ देखेगा और न ही उन्हें शुद्ध (पवित्र) करेगा, और उनके लिए दर्दनाक अज़ाब है।” वह कहते हैं : अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इसे तीन बार दोहराया। अबू ज़र ने कहा : “वे विफल हुए और घाटे से ग्रस्त हुए, ऐ अल्लाह के रसूल! वे कौन लोग हैंॽ” आपने फरमाया : “अपना कपड़ा टखनों के नीचे लटकाने वाला, उपकार जतलाने वाला और झूठी शपथ खाकर अपने सामान को रिवाज देने वाला।” इसे मुस्लिम (हदीस संख्या : 106) ने रिवायत किया है।
10. प्रसिद्धि के वस्त्र पहनना हराम है, इससे अभिप्राय वह कपड़ा है, जिससे (उसका) पहनने वाला दूसरों से उत्कृष्ट हो जाता है, ताकि उसकी ओर देखा जाए और वह उससे पहचाना जाए और उसके लिए प्रसिद्ध हो जाए।
इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से वर्णित है कि उन्होंने कहा : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “जिस व्यक्ति ने शोहरत (प्रसिद्धि) का कपड़ा पहना, अल्लाह उसे क़ियामत के दिन उसी जैसा कपड़ा पहनाएगा।”
एक रिवायत में यह वृद्धि है कि : “फिर उसमें आग लगा दी जाएगी।” तथा एक अन्य रिवायत में है “अपमान का वस्त्र”। इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 4029) और इब्ने माजा (हदीस संख्या : 3606) और (हदीस संख्या : 3607) ने रिवायत किया है। इस हदीस को अलबानी ने “सहीह अत-तर्गीब” (2089) में हसन कहा है।
प्रश्न करने वाले भाई हमारी वेबसाइट पर “पोशाक” का अनुभाग देख सकते हैं, क्योंकि वहाँ उनके लिए अधिक जानकारी उपलब्ध है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर