क्या रमज़ान के महीने में किसी मस्जिद में एक साथ रोज़ा इफ़्तार करने के लिए इकट्ठा हो सकते हैं, भले ही वह केवल एक दिन ही क्यों न हो, ताकि मस्जिद की जमाअत के बीच संपर्क तथा प्यार और स्नेह बना रहेॽ या कि ऐसा करना एक नवाचार (बिदअत) माना जाएगाॽ
सामूहिक रीप से रोज़ा इफ़्तार करने के लिए एकत्र होना
प्रश्न: 37702
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
इसे बिदअत नहीं माना जाएगा। बल्कि यह उन चीजों में से एक है जो इस्लामी धर्मशास्त्र के अनुरूप हैं; क्योंकि यह एक धर्मसंगत चीज़ को हासिल करने का एक साधन है, जो कि मुसलमानों के बीच प्यार, स्नेह और दोस्ती को बढ़ाना है।
अल्लाह ने अपने पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को मोमिनों के दिलों को आपस में जोड़ देने के उपकार को याद दिलाया है, जिससे इंगित होता है कि यह इस उम्मत पर महान नेमतों में से एक है।
अल्लाह तआला ने फरमाया :
هُوَ الَّذِي أَيَّدَكَ بِنَصْرِهِ وَبِالْمُؤْمِنِينَ وَأَلَّفَ بَيْنَ قُلُوبِهِمْ لَوْ أَنفَقْتَ مَا فِي الأَرْضِ جَمِيعًا مَا أَلَّفْتَ بَيْنَ قُلُوبِهِمْ وَلَكِنَّ اللَّهَ أَلَّفَ بَيْنَهُمْ إِنَّهُ عَزِيزٌ حَكِيمٌ
[الأنفال :62-63 ].
“वही है जिसने अपनी सहायता से और मोमिनों के द्वारा आपको शक्ति प्रदान की। तथा उनके दिलों को आपस में एक-दूसरे से जोड़ दिया। यदि आप धरती में जो कुछ है, सब खर्च कर डालते, तो भी आप उनके दिलों को परस्पर जोड़ न सकते। लेकिन अल्लाह ने उन्हें परस्पर जोड़ दिया। निश्चय वह अत्यंत प्रभुत्वशाली, पूर्ण हिकमत वाला है।” (सूरतुल-अनफाल :62-63).
तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “ऐ अल्लाह के बंदो! तुम आपस में भाई-भाई बन जाओ।” इसे बुखारी (हदीस संख्या : 6064) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 2563) ने रिवायत किया है।
अतः मुसलमानों के बीच प्यार, स्नेह और दोस्ती बढ़ाना उन चीजों में से है, जिसपर इस्लामी शरीयत ने ज़ोर दिया और प्रोत्साहित किया है, तथा इसे प्राप्त करने के साधन निर्धारित किए हैं, जैसे सलाम करना, अपने मुसलमान भाई से चेहरे पर मुस्कान के साथ मिलना, अच्छा व्यवहार करना और उपहार देना… और अन्य चीजें जिनका इस्लाम ने प्रोत्साहन दिया है।
तथा हर वह चीज़ जो मुसलमानों के बीच प्यार व स्नेह पैदा करने और उसे बढ़ाने का कारण है, वह धर्मसंगत चीज़ों में से है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर