मेरा भाई एक धर्मनिष्ठ आदमी है, लेकिन उसकी पत्नी धर्मनिष्ठ नहीं है। वह न तो रोज़ा रखती है, और न ही वास्तव में रमजा़न के बारे में कुछ जानती है। हमारे रिश्तेदारों में से कोई भी नहीं है जो उसके निकट में रहता हो, और उसके लिए यह कठिन है कि वह अपनी पत्नी पर प्रभाव डाल सके कि वह बदल जाए। वह उसके लिए अल्लाह तआला से प्रार्थना करता है कि उस को स्त्य मार्ग दर्शाए, और उसे उसकी हालत पर धैर्य करने का सामर्थ्य दे। परंतु ऐसा लगता है कि वह अपने अंदर कोई परिवर्तन लाना नहीं चाहती है, या वह मुसलमानों की तरह व्यवहार करना नहीं चाहती है।
क्या आप मुझे बता सकते हैं कि मेरा भाई उसके साथ किस प्रकार से व्यवहार करे कि वह इसलाम के अधिक क़रीब आ जाए और दीनदार (धर्मनिष्ठ) बन जाए?
उसकी पत्नी रोज़ा नहीं रखना चाहती है
प्रश्न: 38282
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
उत्तर :
हर प्रकार की प्रशंसाऔर गुणगान केवलअल्लाह के लिएयोग्य है।
आपके भाई के लिएअनिवार्य है किवह अपनी पत्नीको सत्य मार्गकी ओर लाने के लिएसभी उपायों औरसाधनों के द्वाराअत्यंत प्रयासकरे। चुनाँचे वहउसके साथ प्रलोभनऔर चेतावनी केतरीक़े का इस्तेमालकरे, और उसको अल्लाहतआला और उसके हुक़ूक़याद दिलाए, उसको उपदेश औरनसीहत करे, और वह जिस भयानकऔर खतरनाक स्थितिमें है, उससेउसको सूचित करे।फिर उसे अच्छीसंगत से जोड़नेका प्रयास करे,भले ही वह उसकेरिश्तेदारों मेंसे न हो। जैसे किवह अपने दोस्तोंकी नेक और सदाचारीपत्नियों से उसकासंपर्क करा दे,तथा उसके लिएलाभदायक कैसिटेंऔर उपयोगी किताबेंलेकर आए। अगर वहउसकी बातों कोमान ले और आज्ञाकारीबन जाए, तो यहीलक्ष्य और उददेश्यहै, अन्यथाउसके साथ उपेक्षाऔर अलगाव का ढंगअपनाने में कोईरूकावट नहीं हैयदि वह इस तरह कीस्थिति में लाभदायकहो। क्योंकि जबपति के हक़ के लिएपत्नी से संबन्धविच्छेदकरना धर्मसंगतहै, तो फिर अल्लाहतआला के अधिकारके लिए धर्मसंगतहोना अधिक पात्रहै।
तथा अबू उमामाबाहिली रज़ियल्लाहुअन्हु से साबितहै कि उन्हों नेकहा कि : मैं ने अल्लाहके नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमको यह फरमाते हुएसुना किः ‘‘इस बीच किमैं सोया हुआ थामेरे पास दो आदमीआए। वे दोनों मेराबाज़ू पकड़ कर एकदुर्लभ चढ़ाईवाले पहाड़ पर लेगए। उन दोनों नेकहा : चढ़िए। मैंनेकहा : मैं इसकी ताक़तनहीं रखता। उन्होंने कहा : हम आपकेलिए उसे आसान करदेंगे। तो मैंऊपर चढ़ गया यहाँतक कि जब मैं पहाड़की चोटी पर पहुँचातो वहाँ ज़ोरकी आवाज़ें सुनाईदे रही थीं। मैंने कहा : ये आवाज़ेंकैसी हैं?उन्हों नेकहा : यह नरक वालोंके चीखने-चिल्लानेकी आवाज़ है। फिरवे दोनों मुझेलेकर आगे बढ़ेतो मैं ने ऐसे लोगोंको देखा जिन्हेंउनके कूंचों सेलटकाया गया था,उनके जबड़े(बाछें) चीरे हुएथे, जिनसे खून बह रहेथे। मैं ने कहा: ये कौन लोग हैं?उन्हों नेकहा : यह वे लोग हैंजो रोज़ा खोलनेके समय से पहलेही रोज़ा तोड़ देतेथे।’’ इसे बैहक़ी(हदीस संख्या :7796)ने रिवायतकिया है औरअल्बानी ने सहीहकहा है।
जब यह भयानक सज़ासमय से पहले इफ्तारकरने वालों कीहै, तोउन लोगों का क्याहाल हो गा, जोंबिलकुल ही रोज़ानहीं रखते हैं!
यदि वह पत्नी रोज़ान रखने के साथ-साथ, बिल्कुलनमाज़ भी नहीं पढ़तीहै, तो वह इसकेकारण विद्वानोंके राजेह कथन केअनुसार इस्लामधर्म से खारिज़हो चुकी है। इसआधार पर, आपके भाई के लिए उसकोअपने विवाह (पत्नीत्व)में रखना जायज़नहीं है।
और अल्लाह तआलाही सबसे अधिक ज्ञानरखता है।
तथा प्रश्न संख्या:(12828) देखें।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर