नमाज़ों की पाबंदी करनेवाला थ। वह हर साल कहता था कि : इस साल मैं हज्ज करूँगा। उसकी मृत्यु हो गयी और उसके वारिस हैं, तो क्या उसकी तरफ से हज्ज किया जायेगा? और क्या उसके ऊपर कोई चीज़ अनिवार्य है?
उसकी मृत्यु हो गई और उसने कोताही की वजह से हज्ज नहीं किया तो क्या उसकी ओर से हज्ज किया जायेगा?
प्रश्न: 41663
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
”विद्वानोंने इसके बारे मेंमतभेद किया है। चुनाँचे उनमेंसे कुछ का कहनाहै: उसकी ओर से हज्जकिया जाएगा, औरउसे इसका लाभ पहुँचेगा, और यह ऐसेही होगा जैसे किकिसी ने अपनी ओरसे हज्ज किया हो।जबकि कुछ लोगोंने कहा है : उसकीओर से हज्ज नहींकिया जायेगा, और यह कि यदिउसकी ओर से हज़ारबार भी हज्ज कियाजाए, वह क़बूल नहींहोगा। अर्थात उसकीज़िम्मेदारी समाप्तनहीं होगी। औरयही कथन सत्य है।क्योंकि इस आदमीने बिना किसी उज़्रके एक ऐसी इबादतको छोड़ दिया जोउसके ऊपर अनिवार्यऔर तुरंत फर्ज़थी। तो यह कैसेहो सकता है कि वह(स्वयं) तो इस कर्तव्यको छोड़ देता है, फिर मृत्युके बाद हम उसे इसकाप्रतिबद्ध बनातेहैं। रही बात विरासतकी तो अब इससे वारिसोंका अधिकार संबंधितहो गया है, सो हम उन्हेंइस हज्ज की क़ीमतसे कैसे वंचितकर सकते हैं जबकिवह उसके मालिककी ओर से पर्याप्तभी नहीं होगा।इसी चीज़ को इब्नुलक़ैयिम रहिमहुल्लाहने ”तहज़ीबुस्सुनन”में उल्लेख कियाहै, औरमैं भी यही कहताहूँ कि : जिस व्यक्तिने हज्ज को लापरवाहीकरते हुए उस परसक्षम होने केबावजूद छोड़ दिया,तो उसकी ओर से हज्जकभी भी र्प्याप्तनहीं होगा, भले ही लोगउसकी ओर से हज़ारबार हज्ज करें।रही बात ज़कात की,तो कुछ विद्वानोंने कहा है : यदि वहमर गया और उसकीतरफ से ज़कात अदाकर दी गई तो उसकीज़िम्मेदारी समाप्तहो जायेगी। लेकिनमैंने जो नियमवर्णन किया हैउसकी अपेक्षा यहहै कि ज़कात से भीउसकी ज़िम्मेदारीसमाप्त न हो। लेकिनमेरा विचार हैकि मैयित की छोड़ीहुई संपत्ति सेज़कात को निकालनाचाहिए, क्योंकि उसकेसाथ गरीबों औरज़कात के अधिकारीलोगों का हक़ संबंधितहै। जबकि हज्जका मामला इसकेविपरीत है, अतः उसे उसकेतर्का (मृत कीछोड़ी हुईसंपत्ति) से नहींनिकाला जायेगाक्योंकि उससे किसीमनुष्य का हक़ संबंधितनहीं होता है।जबकि ज़कात के साथइन्सान का हक़ संबंधितहोता है, इसलिए ज़कातको उसके अधिकारीलोगों के लिए निकालाजायेगा, लेकिन उसकेमालिक की ओर सेकाफी नहीं होगा, और उसे उसव्यक्ति केसमान सज़ा दी जायेगीजिसने ज़कात अदानहीं किया, अल्लाह तआलासे दुआ है कि वहहमें इससे सुरक्षितरखे। इसी तरह रोज़ेका भी मामला है, यदि पता चलजाए कि इस आदमीने रोज़ा छोड़ दियाहै और उसकी क़ज़ाकरने में लापरवाहीकी है, तो उसकी तरफसे क़ज़ा नहीं कियाजायेगा क्योंकिउसने लापरवाहीसे काम लिया हैऔर इस इबादत कोजो कि इस्लाम केस्तंभों में सेएक स्तंभ है बिनाकिसी उज़्र(शरई कारण) के छोड़दिया है, इसलिए यदिउसकी ओर से कज़ाकिया जाए तो उसेलाभ नहीं पहुँचेगा।जहाँ तक आप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमका यह फरमान हैकि : ”जो व्यक्तिमर गया और उसकेऊपर रोज़े हैं तोउसका वली (अभिभावक)उसकी ओर से रोज़ारखे।” तो यह उस आदमीके बारे में हैंजिसने कोताही वलापरवाही से कामनहीं लिया है, लेकिन जिसआदमी ने खुल्लमखुल्ला बिना किसीशरई उज़्र के क़ज़ाको छोड़ दिया तोउसकी तरफ से क़ज़ाकरने का क्या फायदाहै।” अंत
स्रोत:
''फतावा इब्ने उसैमीन'' (21/226)