एक आदमी ने मुझसे कहा कि मेरे ऊपर हज्ज अनिवार्य हो गया है क्योंकि मैं ने ज़ुलहिज्जा का महीना शुरू होने से पूर्व उम्रा किया है, जबकि मैं ने दो साल पहले हज्ज कर चुका हूँ। तो क्या उसने जो बात कही है वह सही है ?
हज्ज के महीने में उम्रा करने वाले पर हज्ज अनिवार्य नहीं हो जाता है
السؤال: 42507
الحمد لله والصلاة والسلام على رسول الله وآله وبعد.
हर प्रकारकी प्रशंसा और गुणगान अल्लाह के लिए योग्य है।
इस आदमीने आपसे जो बात कही है वह सही नहीं है,क्योंकि हज्ज जीवन में केवल एक बार ही करनाअनिवार्य है,इसलिए कि इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा की हदीस है कि अक़राबिन ह़ाबिस रज़ियल्लाहु अन्हु ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रश्न करते हुए कहा:ऐ अल्लाह के रसूल! क्या हज्ज प्रत्येक वर्ष है या केवल एक बार ? तो आप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लम ने फरमाया: बल्कि केवल एक बार,जिसने इस से अधिककिया तो वह स्वैच्छिक (नफ्ल) है।”इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या: 1721)ने रिवायत कियाहै और अल्बानी ने सहीह कहा है।
और चूँकिआप इस से पहले हज्ज कर चुके हैं इसलिए आप पर दूसरी बार हज्ज करना अनिवार्य नहीं है।
तथा हज्जके महीने तीन हैं और वे शव्वाल,ज़ुल क़ादा और ज़ुलहिज्जा हैं।और शायद उस आदमीने उन्हें हज्ज के महीने के नाम से नामित करने से यह समझा कि जिसने इन महीनों में उम्राकिया उस पर हज्ज अनिवार्य हो गया,हालाँकि यह समझ सही नहीं है,बल्कि उनके हज्जके महीने होने का अर्थ यह है कि हज्ज का उन्हीं महीनों में होना आवश्यक है,न तो उनसे पहलेहो सकता है और न ही उनके बाद।
शैख इब्नेउसैमीन रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया कि एक आदमी ने हज्जे तमत्तुअ् किया,फिर उम्रा करनेके बाद ही अपने देश लौट गया और हज्ज नहीं किया,तो क्या उसके ऊपरकोई चीज़ अनिवार्य है ?
तो उन्होंने उत्तर दिया:
“आपकेऊपर कोई चीज़ अनिवार्य नहीं है,क्योंकि हज्ज तमत्तू करने वाले व्यक्ति ने यदि उम्राका एहराम बांध लिया,फिर हज्ज का एहराम बांधने से पहले उसके मन में आयाकि वह हज्ज नहीं करेगा,तो उसके ऊपर कोईचीज़ नहीं है,सिवाय इसके कि उसने मन्नत मानी हो कि वह इस साल हज्ज करेगा।यदि उसने मन्नत मानी है तो उसके ऊपर अपनी मन्नत को पूरा करना अनिवार्य है।”
फतावा इब्नेउसैमीन (2/679).
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साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर