क़ुर्बानी के जानवर में सबसे अच्छा क्या है – क्या मैं एक बकरा ज़बह करूँ या एक गाय में हिस्सा लूँॽ
क़ुर्बानी में सबसे अच्छा जानवर ऊँट, फिर गाय, फिर भेड़-बकरी, फिर ऊँट या गाय में हिस्सेदारी है
प्रश्न: 45767
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
“सबसे अच्छा क़ुर्बानी का जानवर : एक ऊँट, फिर एक गाय, फिर एक भेड़-बकरी, फिर एक गाय में हिस्सा लेना है। यही अबू हनीफा और शाफेई का दृष्टिकोण है। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जुमा के बारे में फरमाया :
“जो पहली घड़ी में (जुमा की नमाज़ के लिए मस्जिद) गया, तो मानो उसने (अल्लाह के मार्ग में) एक ऊँट की क़ुर्बानी की, और जो दूसरी घड़ी में गया तो मानो उसने (अल्लाह के मार्ग में) एक गाय की क़ुर्बानी की, और जो तीसरी घड़ी में गया, तो वह ऐसा है जैसे उसने (अल्लाह के मार्ग में) एक सींग वाले मेंढे की क़ुर्बानी की, और जो चौथी घड़ी में गया, तो वह ऐसा है जैसे उसने (अल्लाह के मार्ग में) एक मुर्गी की क़ुर्बानी की, और जो पाँचवी घड़ी में गया, तो वह ऐसा है जैसे उसने (अल्लाह के मार्ग में) एक अंडे की क़ुर्बानी दी।” इसे बुख़ारी (हदीस संख्या : 881) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 850) ने (अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से) रिवायत किया है।
तथा क्योंकि यह एक ऐसी क़ुर्बानी है जिसके माध्यम से अल्लाह की निकटता प्राप्त की जाती है। इसलिए ऊँट इसमें सबसे अच्छा है, जैसा कि हदी (हज्ज की क़ुर्बानी) के मामले में है।
एक भेड़-बकरी ऊँट में हिस्सा लेने से बेहतर है; क्योंकि क़ुर्बानी का उद्देश्य खून बहाना है। और जो व्यक्ति अकेले एक भेड़-बकरी ज़बह करता है, वह उसका पूरा खून बहाकर अल्लाह की निकटता हासिल करता है।
तथा मेढ़ा, भेड़-बकरी में सबसे बेहतर है, क्योंकि वह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की क़ुर्बानी का जानवर है, तथा उसका माँस सबसे अच्छा होता है।”
“अल-मुग़्नी” (13/366) से संक्षेप के साथ उद्धरण समाप्त हुआ।
स्थायी समिति से पूछा गया : क़ुर्बानी में कौन सा जानवर बेहतर है, मेंढा या गायॽ
तो उन्होंने उत्तर दिया :
“सबसे अच्छा क़ुर्बानी का जानवर : एक ऊँट, फिर एक गाय, फिर एक भेड़-बकरी, फिर एक ऊँट या गाय का हिस्सा है; क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने जुमा के बारे में फरमाया : “जो पहली घड़ी में (जुमा की नमाज़ के लिए मस्जिद) गया, तो मानो उसने एक ऊँट की क़ुर्बानी दी…”
इस हदीस से तर्क इस प्रकार ग्रहण किया गया है कि : अल्लाह की निकटता प्राप्त करने में ऊँट, गाय और भेड़-बकरी के बीच परस्पर एक दूसरे पर वरीयता पाई जाती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि कुर्बानी अल्लाह की निकटता के सबसे बड़े कार्यों में से एक है। तथा इसलिए कि ऊँट अधिक मूल्यवान, अधिक माँस वाला और अधिक उपयोगी है। यही तीनों इमामों : अबू हनीफा, शाफेई और अहमद का दृष्टिकोण है। इमाम मालिक का कहना है : सबसे अच्छा भेड़ का जज़्आ, फिर एक गाय, फिर एक ऊँट है। क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने दो मेढ़ों की क़ुर्बानी की, और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम वही कार्य करते हैं जो सबसे अच्छा हो।
उसका उत्तर इस प्रकार दिया जा सकता है कि : नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम कभी-कभी अपनी उम्मत पर करुणा करते हुए सर्वोचित विकल्प के अलावा को चुनते हैं; क्योंकि वे आपके उदाहरण का पालन करते हैं। और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उन्हें कष्ट में डालना पसंद नहीं करते। और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने गाय और भेड़-बकरी पर ऊँट की श्रेष्ठता बयान की है, जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है। और अल्लाह ही बेहतर जानता है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
“फतावा अल-लज्नह अद-दाईमह” (11/398).
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह “अहकाम अल-उज़ह़ियह” में कहते हैं :
“क़ुर्बानी के जानवरों में सबसे अच्छा : एक ऊँट, फिर एक गाय है, अगर कोई व्यक्ति पूरा जानवर ज़बह करता है, फिर भेड़, फिर बकरा, फिर ऊँट का सातवाँ हिस्सा, फिर गाय का सातवाँ हिस्सा है।” उद्धरण समाप्त हुआ।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर