एक मुट्ठी से अधिक दाढ़ी को काटने का क्या हुक्म है ॽ
एक मुट्ठी से अधिक दाढ़ी को काटने का हुक्म
प्रश्न: 48960
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
दाढ़ी कोबढ़ाने के विषयमें अल्लाह केपैगंबर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमका कथन और कृत्यदोनों वर्णित है।चुनांचे अल्लाहके पैगंबर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमसे दाढ़ी को बढ़ाने, उसेज़्यादह करने औरउसे पूरी तरह छोड़देने का आदेश साबितहै, बुखारीऔर मुस्लिम वगैहरने अब्दुल्लाहबिन उमर रज़ियल्लाहुअन्हुमा से रिवायतकिया है कि उन्होंने कहा : अल्लाहके रसूल सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमने फरमाया : “मूंछोंको बारीक करो औरदाढ़ियों को बढ़ाओ।” इसेबुखारी (हदीस संख्या: 5443) और मुस्लिम (हदीससंख्या : 600) ने रिवायतकिया है। और एकरिवायत में हैकि “मुशरिकों काविरोध करो, मूंछोंको बारीक करो औरदाढ़ियाँ बढ़ाओ।” इसेमुस्लिम (हदीससंख्या : 602) ने रिवायतकिया है। तथा मुस्लिम(हदीस संख्या : 383)ने ही अबू हुरैरारज़ियल्लाहु अन्हुसे रिवायत कियाहै कि उन्हों नेकहा : अल्लाह केरसूल सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमने फरमाया : “मूँछोंको छाँटो और दाढ़ियाँछोड़ दो, मजूसियोंका विरोध करो।”
तथा स्थायीसमिति के फतावा(5/136) में आया है कि:
तथा दाढ़ीको बढ़ाने का मतलबयह है कि उसे छोड़दिया जाए काटान जाए यहाँ तक किवह बढ़ जाए अर्थातअधिक हो जाए। यहनबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमका कथन में तरीक़ाथा, जहाँ तक कृत्यमें आपके तरीक़ेका संबंध है तोआप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमसे प्रमाणित नहींहै कि आप ने अपनीदाढ़ी से कुछ काटाहो, रही बात उस हदीसकी जिसे तिर्मिज़ीने अम्र बिन शुऐबअन अबीही अन जद्दिहीके तरीक़ से रिवायतकिया है कि : “नबीसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम अपनदीदाढ़ी की लंबाईऔर चौड़ाई से काटतेथे।” औरतिर्मिज़ी ने कहाहै कि यह हदीस(2912) गरीब है, तोइस हदीस की सनदमें उमर बिन हारूनहैं और वह मतरूकरावी हैं जैसाकिहाफिज़ इब्ने हजरने अत्तक़रीब मेंकहा है। इस से पताचलता है कि यह हदीससही नहीं है औरइसके द्वारा उनसही हदीसों केखिलाफ हुज्जत क़ायमनहीं हो सकती हैजो दाढ़ी बढ़ाने, उसेअधिक करने और छोड़देने की अनिवार्यतापर तर्क स्थापितकरती हैं। जहाँतक कुछ लोगों कीबात है जो दाढ़ीको मूँडते या उसकीलंबाई या चौड़ाईमें से कुछ काटतेहैं तो यह जाइज़नहीं है, क्योंकियह रसूल सल्लल्लाहुअलैही व सल्लमके तरीक़े और उसेबढ़ाने के आदेशके खिलाफ है। औरआदेश अनिवार्यताकी अपेक्षा करताहै यहाँ तक कि उसेउसके असल से फेरनेवाली कोई दलीलआ जाए और हम कोईचीज़ नहीं जानतेहैं जा उसे इससेफेरने वाली हो।” अंतहुआ।
शैख मुहम्मदअल-उसैमीन – रहिमहुल्लाह-ने फरमाया : दाढ़ीकाटना नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके उस आदेश के विपरीतहै जिसका आप नेअपने इस कथन मेंहुक्म दिया है:‘‘दाढ़ीको अधिक करो।” , “दाढ़ी बढ़ाओ” , “दाढ़ी कोछोड़ दो” अतःजो पैगंबर सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके आदेश का पालनकरना, और आप सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके तरीक़े का अनुसरणकरना चाहता है, वहउसमें से कोई चीज़न काटे, क्योंकिरसूल सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमका तरीक़ा यह हैकि आप अपनी दाढ़ीसे कोई चीज़ नहींकाटते थे, इसीतरह आप से पूर्वईश्दूतों का भीयही तरीक़ा थ।
फतावा इब्नेउसैमीन (11/126)
कुछ विद्वानइस बात की ओर गएहैं कि एक मुट्ठीसे अधिक दाढ़ी कोकाटना जाइज़ है,उन्हों ने इब्नेउमर रज़ियल्लाहुअन्हुमा के कृत्यसे दलील पकड़ी है, चुनाँचेबुखारी (हदीस संख्या: 5892) ने रिवायत कियाहै: ‘‘इब्नेउमर जब हज्ज याउम्रा करते तोअपनी दाढ़ी को पकड़तेऔर जो उससे अधिकहोती उसे काट देतेथे।” शैखइब्ने बाज़ ने फरमाया: जिसने इब्ने उमररज़ियल्लाहु अन्हुमाके कृत्य से दलीलपकड़ी है कि वह हज्जमें एक मुट्ठीसे अधिक दाढ़ी कोकाटते थे। तो इसकेअंदर कोई प्रमाणनहीं है, क्योंकियह इब्ने उमर रज़ियल्लाहुअन्हुमा का इजतिहादहै, औरदलील उनकी रिवायतमें है उनके इजतिहादमें नहीं है। औरविद्वानों ने इसबात को स्पष्टताके साथ वर्णन कियाहै कि सहाबा औरउनके बाद के रावीकी रिवायत जो नबीसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम से साबितहै, वहीहुज्जत और प्रमाणहै, औरवह उसकी राय परप्राथमिकता रखतीहै यदि वह सुन्नतके विपरीत है।
फतावा वमक़ालात शैख इब्नेबाज़ : (8/370)
तथा शैखअब्दुर्रहमानबिन क़ासिम अपनीपुस्तिका “तहरीमहल्क़िल लुहा” पृष्ठ: 11 में फरमाया : “कुछविद्वानों ने इब्नेउमर की कृत्य केकारण एक मुट्ठीसे अधिक दाढ़ी कोकाटने की रूख्सतदी है, जबकि अधिकतरविद्वान उसे नापंसदकरते हैं, औरयही बात पिछलीदलीलों के कारणसबसे प्रत्यक्षऔर स्पष्ट है।नववी ने कहा : पसंदीदायह है कि उसे उसकीहालत पर – वैसैही – छोड़ दिया जाये, औरउसे कुछ भी न काटाजाये . . . तथा अद्दुर्रूलमुख्तार में फरमाया: जहाँ तक एक मुट्ठीसे छोटी दाढ़ी सेकाटने का हुक्महै तो इसे किसीने जाइज़ नहीं ठहरायाहै।” संक्षेपके साथ समाप्तहुआ।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर