0 / 0

अगर रोज़ादार दिन के दौरान यात्रा करे तो उसके लि रोज़ा तोड़ना जायज़ है

प्रश्न: 48975

अगर मैं ने रात को रोज़े की नीयत कर ली और रोज़े की हालत में सुबह की, फिर मैं ने दिन में सफर करने का इरादा कर लिया तो क्या मेरे लिए रोज़ा तोड़ देना जायज़ है या कि मेरे ऊपर रोज़े को पूरा करना ज़रूरी है?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

जी हाँ, रोज़ादार अगर दिन के दौरान सफर करता है तो उसके लिए रोज़ा तोड़ना जायज़ है, और यही इमाम अहमद रहिमहुल्लाह का मत है।

देखिए: ''अल-मुग़नी'' (4/345).

इस बात पर किताब व सुन्नत दलालत करते हैं।

रही बात किताब की तो वह अल्लाह का यह फरमान है :

وَمَنْ كَانَ مَرِيضاً أَوْ عَلَى سَفَرٍ فَعِدَّةٌ مِنْ أَيَّامٍ أُخَرَ [البقرة :175]

''और जो बीमार हो या यात्रा पर हो तो वह दूसरे दिनों में उसकी गिंती पूरी करे।'' (सूरतुल बक़रा : 185)

और जिस व्यक्ति ने दिन के दौरान यात्रा किया वह ''यात्रा पर है'', इसलिए उसके लिए रोज़ा तोड़ना और यात्रा की रियायतों (रुख्सतों) से लाभ उठाने की अनुमति है।

रही बात सुन्नत की तो अहमद (हदीस संख्या : 26690) और अबू दाऊद (हदीस संख्या : 2412) ने उबैद बिन जब्र से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : मैं अल्लाह के पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सहाबी अबू बस्रह अल-ग़िफारी के साथ रमज़ान के महीने में फुसतात से एक कश्ती में सवार हुआ, तो वह रवाना हुए फिर दोपहर का भोजन पेश किया (और अहमद की रिवायत के शब्द यह हैं कि : तो जब हम अपने बंदरगाह से रवाना हुए तो उन्हों ने दस्तरख्वान लगाने का आदेश किया, चुनाँचे उसे परोसा गया) फिर उन्हों ने कहा, क़रीब आ जाओ। तो मैं ने कहा : क्या हम घरों को नही देख रहे हैं! तो अबू बस्रह ने उत्तर दिया : क्या तुम ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत से मुंह मोड़ लिया?!

''और सहाबी के कथन कि ''यह सुन्नत से है'' से अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत समझी जाती है।'' औनुल माबूद से अंत हुआ।

इब्नुल क़ैयिम ''तहज़ीबुस्सुनन'' में फरमाते हैं :

''इसके अंदर उनके लिए प्रमाण और तर्क है जिन्हों ने मुसाफिर के लिए उस दिन में रोज़ा तोड़ना वैध क़रार दिया है जिसके दौरान उसने यात्रा की है। यही इमाम अहमद से दो रिवायतों में से एक रिवायत है, तथा अम्र बिन शुरहबील, शअ्बी और इसहाक़ का कथन है। तथा इसे अनस से उल्लेख किया है और यही दाऊद और इब्नुल मुंज़िर का कथन है।'' इब्नुल क़ैयिम की बात समाप्त हुई।

तथा शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिया ने ''मजमूउल फतावा'' (25/212) में फरमाया :

''यदि यात्री किसी दिन के दौरान यात्रा करे तो क्या उसके लिए रोज़ा तोड़ना जायज़ है? इस बारे में विद्वानों के दो कथन हैं, जो दोनों इमाम अहमद से दो रिवायतें हैं, उनमें सबसे स्पष्ट और प्रत्यक्ष यह है कि : यह (यानी रोज़ा तोड़ना) जायज़ है। जैसा कि सुनन में प्रमाणित है कि सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम में कुछ ऐसे थे कि जब वह यात्रा पर निकलते थे तो उसके दिन से ही रोज़ा तोड़ देते थे, और यह उल्लेख करते थे कि यह नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की सुन्नत है, तथा सहीह में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से साबित है कि आप ने यात्रा में रोज़े की नीयत की फिर आप ने पानी मंगाया और रोज़ा तोड़ दिया इस हाल में कि लोग आप को देख रहे थे।'' इब्ने तैमिया की बात समाप्त हुई।

देखिए : ''अश-शरहुल मुम्ते'' (6/217).

लेकिन उसके लिए रोज़ा तोड़ना जायज़ नहीं है यहाँ तक कि वह यात्रा की शुरूआत कर दे और अपने शहर को छोड़ दे। और उसके लिए रोज़ा तोड़ना जायज़ नहीं है जबकि वह अभी अपने शहर में ही हो।

शैख इब्ने उसैमीन ''अश-शरहुल मुम्ते'' (6/218) में कहते हैं :

''जब वह दिन के दौरान यात्रा करे तो उसके लिए रोज़ा तोड़ना जायज़ है, लेकिन क्या उसके लिए यह शर्त है कि वह अपनी बस्ती से अलग हो जाए? या कि जब वह यात्रा का संकल्प कर ले और प्रस्थान कर दे तो उसके लिए रोज़ा तोड़ना जायज़ हो जाता है?

इसका उत्तर यह है कि : इसके बारे में सलफ (पूर्वजों) से दो कथन वर्णित है।

और सहीह बात यह है कि वह रोज़ा नहीं तोड़ेगा यहाँ तक कि वह बस्ती से अलग हो जाए, क्योंकि वह अभी सफर में नहीं है बल्कि उसने सफर की नीयत की है, इसी लिए उसके लिए नमाज़ को क़स्र करना जायज़ नहीं है यहाँ तक कि वह शहर से बाहर निकल जाए। तो इसी तरह उसके लिए रोज़ा तोड़ना जायज़ नहीं है यहाँ तक कि वह शहर से बाहर निकल जाए।'' अंत हुआ।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

at email

डाक सेवा की सदस्यता लें

साइट की नवीन समाचार और आवधिक अपडेट प्राप्त करने के लिए मेलिंग सूची में शामिल हों

phone

इस्लाम प्रश्न और उत्तर एप्लिकेशन

सामग्री का तेज एवं इंटरनेट के बिना ब्राउज़ करने की क्षमता

download iosdownload android