मैंने तवाफ़े इफ़ाज़ा छोड़ दिया, क्योंकि मैं यह समझ रहा था कि उसके लिए पहला तवाफ़ पर्याप्त है। अब मुझे क्या करना चाहिए?
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
तवाफ़े इफ़ाज़ा, हज्ज के स्तंभों (आवश्यक भागों) में से एक स्तंभ है जिसके बिना हज्ज पूरा नहीं होता है। यदि किसी व्यक्ति ने उसे छोड़ दिया तो उसका हज्ज पूरा नहीं हुआ, उसके लिए ज़रूरी है कि उसकी अदायगी करे। इसलिए वह वापस आएगा, भले ही अपने देश से आना पड़े, फ़िर वह तवाफ़े इफ़ाज़ा करेगा। इस स्थिति में, जब तक उसने तवाफ़े इफ़ाज़ा नहीं किया है, तब तक उसके लिए अपनी पत्नी के साथ अंतरंग होने की अनुमति नहीं है, इसलिए कि वह एहराम से पूरी तरह से बाहर नहीं निकला है, क्योंकि कोई भी पूरी तरह से एहराम के प्रतिबंध से तवाफ़े इफ़ाज़ा और सई करने के बाद ही निकलता है, यदि वह हज्ज तमत्तु करने वाला था, या हज्ज क़िरान या हज्ज इफ़्राद कर रहा था और उसने तवाफ़े-क़ुदूम (आगमन के तवाफ़) के साथ सई नहीं की थी।”