यदि मदरसे (स्कूल) को आर्थिक सहायता की ज़रूरत है, तो क्या बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देने वाले मदरसे को ज़कात देना जाजयज़ है?
मदद के ज़रूरतमंद एक प्राथमिक स्कूल को ज़कात का भुगतान करने का हुक्म
प्रश्न: 6977
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
उत्तर:
सहीबात यह है कि उसमदरसे (स्कूल) कोज़कात देना जायज़नहीं है। ज़कातके हक़दार लोगोंको अल्लाह ने अपनेइस कथन में स्पष्टकिया है :
إِنَّمَا الصَّدَقَاتُ لِلْفُقَرَاءِ وَالْمَسَاكِينِ وَالْعَامِلِينَ عَلَيْهَاوَالْمُؤَلَّفَةِ قُلُوبُهُمْ وَفِي الرِّقَابِ وَالْغَارِمِينَ وَفِي سَبِيلِاللَّهِ وَاِبْنِ السَّبِيلِ فَرِيضَةً مِنْ اللَّهِ وَاللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٌ [التوبة : 60].
“सदक़े(ज़कात) तोमात्रफक़ीरों, मिसकीनों, उनकीवसूली केकार्य परनियुक्तकर्मियोंऔर उनलोगों के लिएहैं जिनकेदिलों कोआकृष्ट करनाऔर परचानाअभीष्ट हो, तथा गर्दनोंको छुड़ाने, क़र्ज़दारोंके क़र्ज़चुकाने, अल्लाहके मार्ग(जिहाद) में और(पथिक)मुसाफिर परखर्च करने केलिए हैं।यहअल्लाहकी ओर सेनिर्धारितकिए हुए हैं, और अल्लाहतआला बड़ाजानकार, अत्यंततत्वदर्शी(हिकमत वाला)है।”(सूरतुत्तौबा: 60)
1- फक़ीर (गरीब) : वह व्यक्तिहै जिसके पास कुछन हो।
2- मिस्कीन : वह व्यक्तिहै जिसके कुछ चीज़ेंहों लेकिन वह पर्याप्तन हो।
3- सदक़ाका कर्मचारी:वह व्यक्तिहै जिसे इमाम (शासक) नेइस लिए नियुक्तकिया हो कि वह सदक़ातवसूल करके लाए।उसे उसके कार्यके अनुसार (ज़कातके माल) से दियाजाएगा, भले ही वहमालदार हो।
4- जिनकेदिलों को परचायाजाता हो, यह वो लोग हैंजिन्हें नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमइस्लाम के लिएआकर्षित करते औरउनसे लगाव पैदाकरते थे ताकि वेमुसलमान हो जाएंया उनकी बुराईको दूर कर सकेंया ताकि उनका इरादादृढ़़ हो जाए औरवे इस्लाम पर जमजाएं। तो वे तीनप्रकार के लोगथे।
5- गर्दनोंको छुड़ाना, इससे अभिप्रायवे गुलाम हैं जिन्होंने अपने मालिकोंसे कुछ धन का भुगतानकर आज़ादी पर समझौताकर लिया हो, या बिनाकिसी समझौता केगुलामों को आज़ादकरने के लिए भुगतानकरना।
6- क़र्ज़दार,इससे अभिप्रायवह क़र्जदार (ऋणी)है जो अपने क़र्जको चुकाने मेंअसमर्थ हो।
7- अल्लाहके रास्ते में,इससे अभिप्रायवे सैनिक हैं जोअल्लाह के रास्तेमें जिहाद (संघर्ष)और इस्लाम के कलिमाको सर्वोपरि करनेके लिए समर्पितहों।
8- पथिकमुसाफिर, वह परदेसीमुसाफिर जो अपनेमाल से कट गया हो,उसे ज़कातसे इतनी राशि दीजायेगी जिससे उसकीआवश्यकता पूरीहो जाए, भले ही वह अपनेदेश में धनवानहो।
ज़कातदेने वाले को इसबात की अनुमतिऔर अधिकार है किवह इन सभी वर्गके लोगों को ज़कातदेया इन में सेकुछ को दे, चाहेवह किसी भी वर्गसे कोई एक ही क्योंन हो। कुछ लोगोंने ‘‘और अल्लाहके रास्ते में’’के शब्दमें विस्तार सेकाम लिया है, जबकि राजेह(वज़नदार बात) यह है किवह जिहाद के बारेमें है, और उसमें हज्जके दाखिल होनेकी संभावना है।
इब्नेकसीर रहिमहुल्लाहकहते हैं: ‘‘रही बात ”फीसबीलिल्लाह” (अल्लाहके रास्ते में)की तो उनमें वेयोद्धा (मुजाहिदीन)हैं जिनका कोईसरकारी वेतन नहो। तथा इमाम अहमद,हसन, और इसहाक़के निकट ‘हज्ज’ अल्लाह केरास्ते में सेहै। इस बारे मेंवर्णित हदीस केआधार पर। ”तफसीरइब्न कसीर” (2/367).
और हदीससे अभिप्राय वहहदीस है जो मुसनदइमाम अहमद मेंसाबित है कि आपसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम ने फरमाया: ‘‘हज्जऔर उम्रा अल्लाहके रास्ते मेंसे हैं।’’
सारांशयह कि : इस मदरसाके लिए ज़कात काभुगतान करना जायज़नहीं है, सिवाय इसकेकि उसके छात्रगरीब हों या इनआठ वर्गों मेंसे किसी वर्ग केअंतर्गत आते हों।शरीअत में इस मदरसाकी मदद के लिए दरवाज़ेखुले हुए हैं,जैसे, सदक़ात वखैरात, दान, और वक़्फ़ (धर्माथदान)। और अल्लाहतआला ही सबसे अधिकज्ञान रखता है।
इस्लामप्रश्न और उत्तर
स्रोत:
शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद