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उसने सूद पर आधारित क़र्ज लिया और अपने भाई को हज्ज करने के लिए दे दिया

السؤال: 82659

किया। मेरा बैंक में कुछ पैसा था, किंतु मैं ने उसे सुरक्षित रखना पसंद किया, क्योंकि मैं डर रही थी कि मुझे उसकी और अधिक महत्वपूर्ण चीज़ों में ज़रूरत पड़ सकती है। अतः मैं ने बैंक से क़र्ज़ लेकर अपने भाई की मदद कर दी। मेरा प्रश्न यह है कि उस भलाई के करने का हुक्म क्या है जो मैं ने करनी चाही है ? और क्या मुझे इसमें कोई पुण्य मिलेगा ? या चूँकि बैंक से क़र्ज़ लेना हराम है इसलिए इस काम में मुझे कोई नेकी नहीं मिलेगी ? और मेरे भाई के हज्ज के बारे में क्या हुक्म है, क्या वह सही है जबकि वह पैसे के स्रोत के बारे में ज़िम्मेदार नहीं है ?

الجواب

الحمد لله والصلاة والسلام على رسول الله وآله وبعد.

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।

सर्व प्रथम :

हज्ज की अदायगी में भाई या किसी और की मदद के लिए पैसा खर्च करना नेकी के महानकार्यों में से है ; क्योंकि यह इस महान आज्ञाकारिता की अदायगीपर मदद करना है, जिस पर पदों को ऊँचा करना और पापों को मिटानानिष्कर्षित होता है। लेकिन यह जायज़ नहीं है कि यह मदद आपके अल्लाह तआला की हराम कीहुई चीज़ में पड़ने का कारण बने,जैसे कि सूदी बैंकसे क़र्ज़ लेना, क्योंकि सूद का मामला बहुत गंभीर है, और इसके बारे में ऐसी धमकी और चेतावनी आईहै जो इसके अलावा गुनाहों और अवहेलनाओं में नहीं आई है।

तथा इसकी जानकारी के लिए प्रश्न संख्या (6847) और (9054) देखें।

आपको चाहिए कि सूद का लेनदेन करने से अल्लाह के समक्ष पश्चाताप (तौबा) करें।

तथा इस बात को भी अच्छी तरह जान लें कि सूदी बैंक में पैसा जमा करना जायज़ नहींहै सिवाय इसके कि आपको पैसे पर भय हो और कोई इस्लामी बैंक मौजूद न हो, और उस समय ज़रूरी है कि आप ऐसे खाता में पैसाजमा करें जो सूद वाला न हो। क्योंकि शरीअत के प्रमाणित नियमों में से है किः ‘‘ ज़रूरतें निषिद्ध चीज़ों को वैध कर देती हैं।’’ और यह नियम भी है कि: ‘‘ज़रूरत का अनुमान ज़रूरत की सीमा तक ही कियाजाएगा।’’

दूसरा :

आपके भाई का हज्ज इन शा अल्लाह सही (मान्य) है, क्योंकि उसने आप से वैध तरीक़े से पैसा लियाहै, अर्थात या तो दान के रूप में, या उपहार के तौर पर या अच्छे क़र्ज़ के रूपमें।

कुछ विद्वान इस बात की ओर गए है कि वह धन जिसे इन्सान ने हराम (निषिद्ध) तरीक़े- जैसे सूद – से कमाया (प्राप्त किया) है,वह केवल उसके अर्जितकरने वाले पर हराम है, और उस व्यक्ति पर हराम नहीं है जिसने इसकेबाद उससे वैध तरीक़े से लिया है जैसे बिक्री,उपहार और इसके समानअन्य चीज़ें। तथा प्रश्न संख्या (45018) के उत्तोर में इसका वर्णन हो चुका है।

अतः निषेध का हुक्म इस बात पर लागू होता है कि आप ने सूद पर क़र्ज़ लिया है, आपके भाई पर लागूनहीं जाता है।

अल्लाह तआला हमें और आपको उस चीज़ की तौफीक़ प्रदान करे जिससे वह प्यार करता है औरप्रसन्न होता है।

المصدر

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