मैं ने हज्ज का एहराम बाँधा, और उस दिन की प्रातः काल जिसमें मैं तवाफ इफाज़ा करने वाली थी, मैं बेदार हुई और मुझे संदेह हुआ कि मुझे स्वपनदोष हुआ है, किंतु मैं निश्चित नहीं थी और इस आशंका के साथ इफाज़ा का तवाफ कर ली, आप से अनुरोध है कि मुझे फत्वा दें कि निश्चित रूप् से मेरे ऊपर क्या करना अनिवार्य है, ज्ञात रहे कि मैं इस समय जद्दा में निवास कर रही हूँ और जब मैं ने हज्ज का एहराम बाधाँ था तो मिस्र से एहराम बाँधा था। जबकि ज्ञात रहे कि मैं मिस्र वापस लौट कर दुबारा वहाँ से एहराम बाँधने पर सक्षम नहीं हूँ, मुझे अपने हज्ज के सही न होने का भय है।
उसे तवाफ इफाज़ा के लिए अपनी पवित्रता में आशंका है तो उसे अब क्या करना चाहिए ?
प्रश्न: 83025
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
सर्व प्रथम :
पवित्रता – चाहे छोटी हो या बड़ी – जमहूर विद्वानों के निकट तवाफ के शुद्ध होनेके लिए शर्त है, चुनाँचे जिसने जनाबत (स्वपनदोष) की अवस्था में या बिना वुज़ूके तवाफ किया उसका तवाफ सही नहीं है, और अगर यह तवाफ, इफाज़ा का तवाफ है तो हज्ज करने वाला अपने एहराम की हालत पर बाक़ीरहेगा, चुनाँचे वह पूरी तरह एहराम की पाबंदी से आज़ाद नहीं होगा, अतः उसके ऊपर संभोगकरना निषिद्ध रहेगा, और वह अपने हज्ज से हलाल नहीं होगा यहाँ तक कि वह तवाफ कर ले।
दूसरा :
जिस व्यक्ति को अपनी जनाबत की अवस्था (अपवित्रता की अवस्था) में होने का शक (संदेह)हो और उसे इस बात का यक़ीन न हो, तो ऐसी स्थिति में उसके ऊपर स्नान करना अनिवार्य नहीं है ; क्योंकि बुनियादी सिद्धान्तपवित्रता का बाकी रहना है, और इस आधार पर आपका तवाफ सही (मान्य) है जबकि आपको वीर्य देखनेके द्वारा स्वपनदोष का यक़ीन नहीं है। ऐसी अवस्था में आप को चिंता करने की ज़रूरत नहींहै।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर