उस व्यकित का क्या होगा जो एक ही पाप बार बार करता है ?
बार बार पाप करना
प्रश्न: 9231
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
सर्व प्रथम:
जो आदमी बार बार पाप करता है उसका पाप हर बार क्षमा कर दिया जाता है यदि वह पाप करने के बाद तौबा कर लेता है – अगर प्रति बार उसकी तौबा सच्ची है – और एक के बाद दूसरी तौबा के जाइज़ होने का प्रमाण यह है कि जो लोग अबू बक्र रज़ियल्लाहु अन्हु के ज़माने में इस्लाम से फिर (परिवर्तित हो) गये थे, उन्हें अबू बक्र ने इस्लाम की ओर लौटा दिया और उनसे इस परिवर्तन को स्वीकार कर लिया। ज्ञात रहना चाहिए कि वे लोग काफिर थे, फिर इस्लाम में दाखिल हुए, फिर कुफ्र की ओर पलट गये, फिर पुनः इस्लाम में प्रवेश किए,और सभी सहाबा रज़ियल्लाहु अन्हुम ने उनसे तौबा को स्वीकार कर लिया बावजूद इसके कि जो काम मुर्तद्दीन ने किया था वह उस पाप से अधिक बुरा है जिसे एक पापी मुसलमान करता है। अतः, एक मुसलमान पापी की तौबी स्वीकार किया जाना, भले ही वह बार बार हो, एक काफिर के बार बार तौबा स्वीकार किए जाना से अधिक योग्य है।
किंतु हम यह बात इस शर्त के साथ कहते हैं कि पहली तौबा और उसके बाद वाली तौबा सच्चे दिल से शुद्ध और सच्ची तौबा हो, मात्र उसका प्रदर्शन (नाटक) न हो।
हमारी इस बात से यह नहीं समझना चाहिए कि हम गुनाहों पर और उन्हें बार बार करने पर प्रोत्साहित कर रहे हैं, और यह कि मुसलमान अल्लाह तआला की रहमत (करूणा) और अल्लाह की उसकी तौबी की स्वीकृति को गुनाहों के लिए सीढ़ी (ज़ीना) बना ले। नहीं, बल्कि हम पापी को बार बार तौबा करने का प्रोत्साहन दे रहे हैं। हम यह चाहते है कि उस मुसलमान के दिल को संतुष्ट कर दें जो अल्लाह की ओर पलटना चाहता है और उससे कहते हैं: रहमान (करुणामई अल्लाह) का द्वार खुला है, और उसकी क्षमा तेरे पाप से अधिक बढ़कर है। अतः, अल्लाह की दया से निराश न हो और उसकी ओर वापस लौट आ।
बुखारी (हदीस संख्या: 7507) और मुस्लिम (हदीस संख्या: 2758) ने अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि उन्हों ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से रिवायत किया है जिसे आप अपने सर्वशक्तिमान पालनहार से रिवायत करते हैं कि उसने फरमाया: एक बंदे ने गुनाह किया, तो उसने कहा: ऐ अल्लाह, मेरे लिए मेरे पाप को क्षमा कर दे। तो अल्लाह तबारक व तआला ने फरमाया: मेरे बंदे ने पाप किया किंतु उसे पता है कि उसका एक पालनहार है जो पाप को क्षमा कर देता है और पाप पर पकड़ करता है, मैं ने अपने बंदे को क्षमा कर दिया। फिर उसने दुबारा पाप कियातो कहा: हे मेरे पालनहार, मेरे लिए मेरे पाप को क्षमा कर दे। तो अल्लाह तबारक व तआला ने फरमाया: मेरे बंदे ने पाप किया, किंतु वह जानता है कि उसका एक पालनहार है जो गुनाह को क्षमा कर देता और गुनाह पर पकड़ करता है, मैं ने अपने बंदे को क्षमा कर दिया। इसके बाद उसने फिर पाप किया तो उसने कहा: हे मेरे पालनहार, मेरे गुनाह को मेरे लिए क्षमा कर दे। तो अल्लाह तबारक व तआला ने फरमाया: मेरे बंदे ने पाप किया किंतु वह जानता है कि उसका एक पालनहार है जो गुनाह को माफ कर देता और गुनाह पर पकड़ करता है, मैं ने अपने बंदे को माफ कर दिया . . . हदीस के अंत तक।
हाफिज़ इब्ने रजब हंबली ने कहा :
. . . इब्ने अबी दुनिया अपनी इस्नाद के साथ अली से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा : "तुम में सबसे बेहतर हर फित्ने से ग्रस्त होकर तौबा करने वाला है। (अर्थात् जब भी वह दुनिया के फित्ने से ग्रस्त होता है तो तौबा करता है)। कहा गया कि यदि वह दुबारा पाप करता है ? तो उन्हों ने कहा: वह अल्लाह तआला से इस्तिगफार और तौबा करे। कहा गया: यदि वह फिर से पाप करता है ? उन्हों ने कहा: वह अल्लाह तआला से इस्तिग़फार और तौबा करे। कहा गया: कब तक ?उन्हों ने कहा: यहाँ तक कि शैतान ही थक जाये।"
तथा इब्ने माजा ने इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु अन्हु की हदीस से मरफूअन रिवायत किया है: "गुनाह से तौबा करने वाला उस व्यक्ति के समान है जिसका कोई पाप ही नहीं है।’’इसे अल्बानी ने सहीह इब्ने माजा (हदीस संख्या: 3427)में हसन कहा है।
तथा हसन से कहा गया: क्या हम में से वह आदमी अपने रब से शर्म नहीं करता है कि वह अपने गुनाहों से क्षमा मांगता है, फिर पुनः पाप करता है, फिर क्षमा याचना करता है, फिर गुनाह की ओर पलट जाता है। तो उन्हों ने कहा: शैतान की चाहत है कि वह तुम्हारी ओर से इस चीज़ के साथ सफल हो जाए।अतः, तुम इस्तिग़फार से न उकताओ।
तथा उनसे वर्णित है कि उन्हों ने कहा : मैं इसे मोमिनों (विश्वासियों) के शिष्टाचार में से समझता हूँ। अर्थात् मोमिन जब भी पाप करता है, उससे तौबा कर लेता है।
. . . तथा उमर बिन अब्दुल अज़ीज़ ने अपने खुत्बा (भाषण) में कहा: ऐ लोगो, जिसने गुनाह किया है वह अल्लाह से इस्तिग़फार और तौबा करे, यदि वह फिर से गुनाह करे तो फिर अल्लाह से इस्तिग़फार और तौबा करे, यदि वह फिर गुनाह की तरफ लौट आए तो फिर अल्लाह से इस्तिग़फार और तौबा करे, क्योंकि ये लोगों के गले में बंधे हुए गुनाह हैं और विनाश उन पर अटल रहने में है।
इसका अर्थ यह है कि बंदे के भाग्य में जो गुनाह लिख दिया गया है उसे वह अवश्य करेगा, जैसाकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया: "इब्ने आदम पर ज़िना से उसका हिस्सा लिख दिया गया है जिसे वह अवश्य ही करके रहेगा।’’इसे मुस्लिम (हदीस संख्या: 2657) ने रिवायत किया है।
लेकिन अल्लाह ने बंदे के लिए उससे होने वाले गुनाहों से निकलने का रास्ता पैदा कर दिया है और उसे तौबा व इस्तिगफार से मिटा दिया है। यदि उसने ऐसा कर लिया तो वह गुनाह के शर्र से छुटकारा पा गया और यदि वह गुनाह पर अड़ा रहा तो उसका विनाश हुआ। (अंत हुआ)
जामिउल उलूम वल हिकम (1/164 – 165) संशोधन के साथ।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर