कौन सी चीज़ें हैं जो ग़ुस्ल को वाजिब कर देती हैंॽ
ग़ुस्ल को वाजिब करने वाली चीज़ें
प्रश्न: 93027
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
“ग़ुस्ल को वाजिब करने वाली छह चीज़ें हैं। अगर उनमें से कोई एक भी पाई जाए; तो मुसलमान पर ग़ुस्ल करना अनिवार्य हो जाता है।
1- पुरुष या स्त्री से वीर्य का उसके निकलने के स्थान से उत्सर्जन, जो या तो जाग्रत अवस्था में होता है या सोते समय होता है। यदि यह जाग्रत अवस्था में उत्सर्जित होता है, तो उत्सर्जित होने पर आनंद का अनुभव होना शर्त है। यदि वह बिना आनंद के उत्सर्जित होता है; तो ग़ुस्ल को अनिवार्य नहीं करता है; जैसे जो किसी बीमारी के कारण उत्सर्जित होता है। यदि वह सोते समय उत्सर्जित होता है, जिसे एहतिलाम (स्वप्नदोष) कहा जाता है, तो सर्वसामान्य रूप से ग़ुस्ल आवश्यक है; क्योंकि उसने अपना बोध खो दिया, इसलिए वह आनंद का अनुभव नहीं कर सकता; अतः जब सोने वाले की नींद खुले और उसे वीर्य का निशान मिले; तो उसपर ग़ुस्ल करना अनिवार्य है। अगर उसे स्वपनदोष होता है, लेकिन उससे वीर्य का उत्सर्जन नहीं होता है और न ही उसका कोई निशान मिलता है; तो उसपर ग़ुस्ल अनिवार्य नहीं है।
2- ग़ुस्ल को अनिवार्य करने वाली चीज़ों में से दूसरी चीज़ : योनि में लिंग का प्रवेश है, भले ही स्खलन न हुआ हो; क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की हदीस है, जिसे मुस्लिम और अन्य लोगों ने रिवायत किया है : “जब पति अपनी पत्नी की चारों शाखों के बीच बैठे, फिर मर्द का खतना औरत के खतने से मिल जाए, तो ग़ुस्ल अनिवार्य हो गया।” इस हदीस के आधार पर, लिंग के प्रवेश द्वारा संभोग करने वाले पुरुष और संभोग की गई महिला पर ग़ुस्ल अनिवार्य हो जाता है, भले ही कोई स्खलन न हुआ हो, और इस कारण कि इसपर विद्वानों की सहमति है।
3- विद्वानों के एक समूह के अनुसार ग़ुस्ल को अनिवार्य करने वाली तीसरी चीज़ : काफ़िर का मुसलमान होना है। यदि काफ़िर मुसलमान हो जाए; तो उसपर ग़ुस्ल अनिवार्य है; क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इस्लाम कबूल करने वालों में से कुछ लोगों को ग़ुस्ल करने का हुक्म दिया था।
जबकि बहुत-से विद्वानों का मानना है कि काफ़िर के लिए मुसलमान होने के बाद ग़ुस्ल करना वांछनीय (मुस्तहब) है, अनिवार्य नहीं। क्योंकि यह वर्णित नहीं है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर मुसलमान होने वाले को ग़ुस्ल करने का आदेश देते थे। इसलिए प्रमाणों का मिलान करते हुए ग़ुस्ल करने के आदेश को मुस्तहब माना जाएगा।
4- ग़ुस्ल को अनिवार्य करने वाली चौथी चीज़ : मृत्यु है। अत: मृत व्यक्ति को ग़ुस्ल देना अनिवार्य है, युद्ध में शहीद होने वाले को छोड़कर; क्योंकि उसे ग़ुस्ल नहीं दिया जाएगा।
5, 6- ग़ुस्ल को अनिवार्य करने वाली पाँचवीं और छठी चीज़ : मासिक धर्म और निफास (प्रसवोत्तर रक्तस्राव) है; क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का फरमान है : “जब तुम्हारा मासिक धर्म समाप्त हो जाए, तो स्नान करो और नमाज़ पढ़ो।” और सर्वशक्तिमान अल्लाह का फरमान है : فَإِذَا تَطَهَّرْنَ “फिर जब वे (स्नान करके) पाक-साफ़ हो जाएँ।” [अल-बकरा : 222] अर्थात मासिक धर्म के समाप्त होने के बाद ग़ुस्ल करके खुद को शुद्ध कर लें।” शैख सालेह अल-फौज़ान हफ़िज़हुल्लाह की किताब “अल-मुलख्ख़स अल-फ़िक़्ही” से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर