मैं मुँहासों से पीड़ित हूँ, जो चेहरे और कंधे पर प्रकट होते हैं। कभी-कभी इन मुँहासों में जलन होता है और वे सूज जाते हैं, और अंत में वे फूट जाते हैं और उनमें से खून निकलता है, और कभी-कभी इस सूजन से एक पीला तरल (मवाद) निकलता होता है। कभी-कभी यह खून मेरे कपड़ों पर लग जाता है; तो क्या मुझे नमाज़ पढ़ने के लिए इन कपड़ों को बदलना और इन्हें धोना चाहिए?
प्रथम :
आगे और पीछे के रास्ते के अलावा से निकलने वाले खून के बारे में फुक़हा के बीच मतभेद है कि इससे वुज़ू टूट जाता है या नहीं टूटता है। इसका वर्णन प्रश्न संख्या (45666) के उत्तर में पहले ही किया जा चुका है, और यह कि सबसे प्रबल दृष्टिकोण यह है कि यह वुज़ू को अमान्य नहीं करता है। यही इमाम मालिक और इमाम शाफेई रहिमहुमुल्लाह का दृष्टिकोण है और इसी को शैखुल-इस्लाम इब्ने तैमिय्यह रहिमहुल्लाह ने अपनाया है।
दूसरा :
आपके कपड़ों पर जो भी खून या मवाद लग जाता है, अगर वह थोड़ा-सा है, तो उसमें नमाज़ पढ़ने में आप पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर वह बहुत अधिक है, तो फुक़हा की बहुमत के अनुसार आपके लिए इसे धोना या बदलना अनिवार्य है।
कुछ विद्वानों का मत यह है कि किसी मनुष्य के शरीर से दो मार्गो को छोड़कर जो रक्त निकलता है वह शुद्ध होता है, अशुद्ध नहीं होता।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया : “जो कहता है कि मानव रक्त पाक है, उसका कथन बहुत मज़बूत है, क्योंकि पाठ (नस) और क़यास इसे इंगित करते हैं।”
“अश-शर्ह अल-मुम्ते'” (1/443) से उद्धरण समाप्त हुआ।