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बीमारी के कारण दो नमाज़ों को एकसाथ पढ़ना

प्रश्न: 97844

एक रोगी आमाशय के कैंसर से पीड़ित है, और उसके शरीर में पेट के पास एक सूराख छोड़ दिया गया है जिससे रस और अपशिष्ट बाहर निकलते हैं, वह पूछता है कि क्या उसके लिए दो नमाज़ों को इकट्ठा करने की अनुमति है।

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

हां, उसके लिए दो नमाज़ों को इकट्ठा करके पढ़ना जायज़ है। चुनांचे वह ज़ुहर और अस्र को एकसाथ, तथा मग़रिब और इशा को एकसाथ करके पढ़ेगा, चाहे वह अग्रिम करके (अर्थात दोनों नमाज़ों में से पहली नमाज़ के समय में) इकट्ठा करे या विलंब करके (अर्थात दोनों नमाज़ों में से दूसरी नमाज़ के समय में) इकट्ठा करे जो उसके लिए अधिक आसान हो। क्योंकि बीमारी की वजह से होने वाली कठिनाई दो नमाज़ों को एकत्रित करके पढ़ने को जायज़ ठहराने वाले कारणों में से है। तथा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस्तिहाज़ा वाली महिला के लिए जिसे उसके सामान्य दिनों के अलावा में रक्तस्राव होता है, उसके लिए दो नमाज़ों को इकट्ठा करके पढ़ने की छूट दी है। इसे अबू दाऊद (हदीस संख्या : 287) और तिर्मिज़ी (हदीस संख्या : 128) ने रिवायत किया है और अल्बानी रहिमहुल्लाह ने सहीह तिर्मिज़ी में इसे हसन क़रार दिया है।

इस्तिहाज़ा एक प्रकार की बीमारी है। इमाम अहमद ने मरीज़ के लिए दो नमाज़ों को इकट्ठा करने के जायज़ होने का यह तर्क दिया है कि बीमारी यात्रा से भी अधिक गंभीर है, और उन्हों ने सूर्यास्त के बाद सिंघी लगवाया फिर रात का भोजन किया। फिर उन्हों ने मग़रिब और इशा की नमाज़ों को इकट्ठा करके पढ़ी।'' अंत हुआ। ''कश्शाफुल क़िनाअ'' (2/5).

चेतावनी:

इस बात से सावधान रहना आवश्यक है कि वह रोगी जिसके लिए दो नमाज़ों को इकट्ठा करके पढ़ना जायज़ है वह हर नमाज़ को बिना क़स्र किए हुए पूरी पढ़ेगा। क्योंकि क़स्र करना केवल यात्री के लिए जायज़ है। चुनाँचे कुछ लोगों का यह गुमान करना कि यदि कोई व्यक्ति बीमारी के कारण अपने देश में रहते हुए दो नमाज़ों को इकट्ठा करके पढ़ रहा है, तो वह क़स्र भी करेगा, यह गुमान सही नहीं है।

शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह ने फरमाया : ''(नमाज़) क़स्र करने का कारण विशिष्ट रूप से यात्रा है, सफर के अलावा में क़स्र करना जायज़ नहीं है। रही बात नमाज़ों को इकट्ठा करने की तो उसका कारण आवश्यकता और उज़्र है, यदि उसे उसकी आवश्यकता है तो छोटी और लंबी यात्रा में नमाज़ों को इकट्ठा कर सकता है। इसी प्रकार बारिश आदि की वजह से, बीमारी आदि कि वजह से और इसके अलावा अन्य कारणों से दो नमाज़ों को इकट्ठा किया जा सकता है। क्योंकि इसका उद्देश्य उम्मत से तंगी (कष्ट व कठिनाई) को दूर करना है।'' ''मजमूउल फतावा'' (22/293) से अंत हुआ।

हम अल्लाह तआला से प्रार्थना करते हैं कि मुसलमानों के मरीजों को आरोग्य कर दे, उन्हें धैर्य और संतुष्टि प्रदान करे और उन्हें अच्छा बदला दे।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत

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