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हदीस: (ऐ अल्लाह! रजब और शाबान में हमें बर्कत दे, और हमें रमज़ान तक पहुँचा) ज़ईफ है, सही नहीं है।
शाबान के महीने के अंत में उम्रा का एहराम बाँधा और रमज़ान में उम्रा किया तो क्या उसे रमज़ान में उम्रा करने का अज्र मिलेगा ॽ
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