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ज़ईफ़ हदीसें
- क्या "ला इलाहा इल्लल्लाह अददल हरकाति वस्सुकून'' कहने के बारे में कोई विशेष पुण्य वर्णित हैॽ2,387
- क्या यह सही है कि रोज़ेदारों के रोज़ा इफ़तार करते समय अल्लाह और उसके बंदों के बीच पर्दा उठ जाता है?1,553
- क्या हदीस में यह सिद्ध है कि हज्रे-अस्वद को चुंबन करने वाला बिना हिसाब-किताब के स्वर्ग में प्रवेश करेगाॽ4,678
- नमाज़ के अंदर मन में सोचने के बारे में एक निराधार हदीसनमाज़ में किसी ऐसी चीज़ के बारे में सोचना जिसका नमाज़ से कोई संबंध नहीं है, नमाज़ के अज्र व सवाब को कम कर देता है, किंतु उसे पूरी तरह से अमान्य नहीं करता है।4,674
- शबे-क़द्र की दुआ में “करीम” शब्द की वृद्धि प्रमाणित नहीं है।3,062
- क्या यह बात सही है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर स्वैच्छिक रोज़े इकट्ठा हो जाते थे तो आप उन्हें शाबान में कज़ा करते थेॽ3,728
- शाबान के महीने में प्रत्येक जुमेरात को दो रकअत नमाज़ पढ़ने के बारे में एक मनगढ़ंत हदीस3,778
- हदीस: (ऐ अल्लाह! रजब और शाबान में हमें बर्कत दे, और हमें रमज़ान तक पहुँचा) ज़ईफ है, सही नहीं है।6,929
- सलातुस्साबीह के बारे में कोई भी हदीस सहीह नहीं है11,413
- यह हदीस कि ''इस्लाम में सैर सपाटा नहीं है'' सहीह नहीं है।5,554