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आस्था
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कुर्आन और उसके विज्ञानप्रदर्शित करें›उत्तर: 8उपश्रेणियाँ: 3
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पारिवारिक शास्त्रप्रदर्शित करें›उत्तर: 12उपश्रेणियाँ: 18
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शिष्टाचार, नैतिकता और हृदय विनम्र करने वाले तत्वप्रदर्शित करें›उत्तर: 4उपश्रेणियाँ: 3
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ज्ञान और धर्म-प्रचारउपश्रेणियाँ: 2
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सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्यायेंप्रदर्शित करें›उत्तर: 6उपश्रेणियाँ: 2
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इतिहास और जीवनीप्रदर्शित करें›उत्तर: 4उपश्रेणियाँ: 3
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शिक्षा
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नमाज़ के अहकाम
एक नई मुस्लिम महिला को सूरतुल-फातिहा पढ़ने में कठिनाई होती है
सूरतुल-फ़ातिहा पढ़ने में गलती करने वाले की नमाज़ का अमान्य होना सामान्य रूप से हर किसी पर लागू नहीं होता है। क्योंकि सूरतुल-फ़ातिहा पढ़ने में होने वाली हर गलती नमाज़ को अमान्य नहीं करती है, बल्कि नमाज़ तभी अमान्य होती है जब वह सूरतुल-फ़ातिहा में से कुछ छोड़ दे या ए’राब (मात्राओं, यानी स्वर चिह्न : ज़बर, ज़ेर और पेश आदि) में ऐसा बदलाव कर दे जो शब्द के अर्थ को विकृत कर दे। फिर यह नियम, अर्थात् नमाज़ की अमान्यता, केवल उस व्यक्ति पर लागू होता है जो सूरतुल-फ़ातिहा को सही ढंग से पढ़ने में सक्षम है या वह इसे सीखने में सक्षम है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। जहाँ तक उस व्यक्ति की बात है जो ऐसा करने में असमर्थ है, वह इसे अपनी शक्ति के अनुसार पढ़ेगा और इससे उसे कोई नुकसान नहीं होगा। क्योंकि अल्लाह किसी आत्मा पर उसकी क्षमता से अधिक बोझ नहीं डालता।इक़ामत और नमाज़ में प्रवेश करने के बीच दुआ करने का हुक्म
1,382नमाज़ पढ़ते समय छींक आने के बाद अल-हम्दु लिल्लाह कहने का हुक्म
4,469अगर इमाम पाँचवीं रकअत के लिए खड़ा हो जाए
1,295भूकंप आने या आग लगने की स्थिति में नमाज़ को बाधित करने का हुक्म और यदि वह अपनी नमाज़ जारी रखता है और मर जाता है, तो उसका हुक्म क्या हैॽ
जिस व्यक्ति को अपनी जान जाने का डर है, या किसी निर्दोष की जान का खतरा है जिसे वह बचा सकता है : तो उसके लिए अपनी नमाज़ को जारी रखना जायज़ नहीं है, और वह ऐसा करने की वजह से गुनाहगार होगा। फिर यदि वह मर जाता है या घायल हो जाता है, तो वह अपने आपको विनाश में डालने वाला माना जाएगा।3,043वह व्यक्ति कैसे वुज़ू करे और नमाज़ पढ़े जो वायरस सुरक्षा सूट पहने हुए हैॽ
2,580क्या कार्यस्थल पर सज्दा करने की स्थिति में कोरोना वायरस से पीड़ित होने के डर से, वह सज्दा छोड़ दे या नमाज़ों को इकट्ठा करके अपने घर में पढ़ेॽ
2,622नमाज़ के अंदर मन में सोचने के बारे में एक निराधार हदीस
नमाज़ में किसी ऐसी चीज़ के बारे में सोचना जिसका नमाज़ से कोई संबंध नहीं है, नमाज़ के अज्र व सवाब को कम कर देता है, किंतु उसे पूरी तरह से अमान्य नहीं करता है।4,674नमाज़ में हरकत
2,968यदि उसकी नमाज़ खराब हो जाए या वह उसे काट दे तो क्या वह सलाम फेरेगा ?
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