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समय से पहले नमाज़ पढ़ना
24/10/2024पुस्तकों पर ईमान का उल्लेख रसूलों पर ईमान से पहले करने का कारण
22/10/2024राजेह कथन (सही राय) के अनुसार (एक ही बार में) तीन तलाक़ एक ही शुमार होगी
06/10/2024निकाहे हलाला हराम और बातिल (व्यर्थ) है।
04/10/2024अल्लाह के कथन : (إِنَّ الدِّينَ عِنْدَ اللَّهِ الْإِسْلَامُ) की व्याख्या
सामान्य अर्थ में इस्लाम का मतलब है : सारे संसारों के पालनहार अल्लाह के प्रति समर्पण, अधीनता और आज्ञाकारिता, तथा अकेले उसी की इबादत करना जिसका कोई साझी नहीं है। विशिष्ट अर्थ में इस्लाम से अभिप्राय : वह दीन (धर्म) है जिसे हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए हैं, और जिसके अलावा अल्लाह किसी से भी कोई और धर्म स्वीकार नहीं करेगा।02/10/2024क़ियामत के दिन हिसाब के प्रकार
30/09/2024खरीदने और बेचने के विषय में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का मार्गदर्शन
28/09/2024एक नई मुस्लिम महिला को सूरतुल-फातिहा पढ़ने में कठिनाई होती है
सूरतुल-फ़ातिहा पढ़ने में गलती करने वाले की नमाज़ का अमान्य होना सामान्य रूप से हर किसी पर लागू नहीं होता है। क्योंकि सूरतुल-फ़ातिहा पढ़ने में होने वाली हर गलती नमाज़ को अमान्य नहीं करती है, बल्कि नमाज़ तभी अमान्य होती है जब वह सूरतुल-फ़ातिहा में से कुछ छोड़ दे या ए’राब (मात्राओं, यानी स्वर चिह्न : ज़बर, ज़ेर और पेश आदि) में ऐसा बदलाव कर दे जो शब्द के अर्थ को विकृत कर दे। फिर यह नियम, अर्थात् नमाज़ की अमान्यता, केवल उस व्यक्ति पर लागू होता है जो सूरतुल-फ़ातिहा को सही ढंग से पढ़ने में सक्षम है या वह इसे सीखने में सक्षम है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। जहाँ तक उस व्यक्ति की बात है जो ऐसा करने में असमर्थ है, वह इसे अपनी शक्ति के अनुसार पढ़ेगा और इससे उसे कोई नुकसान नहीं होगा। क्योंकि अल्लाह किसी आत्मा पर उसकी क्षमता से अधिक बोझ नहीं डालता।26/09/2024क़ुरआन करीम के सभी शारीरिक और आध्यात्मिक रोगों का इलाज होने का प्रमाण
24/09/2024तक्लीफ़ी अहकाम (शरीअत के प्रावधानों के अनुभाग) और उनके उदाहरण
22/09/2024