मैं सऊदी अरब में एक कठिन काम करता हूँ और वह निर्माण का कार्य है, मेरे साथ पंद्रह लोग काम करते हैं। जब रमज़ान का महीना आया तो हम ने पहले और दूसरे दिन रोज़ा रखा, फिर सभी लोगों ने महीने के शेष रोज़े नहीं रखे जिनमें मैं भी शामिल था। क्योंकि हम मिस्र से आये थे और पहली बार वातावरण के बदलाव का सामना हुआ था। दूसरे वर्ष मैं ने रमज़ान के रोज़े रखे। तो प्रश्न यह है कि इसका क्या हुक्म है, जबकि ध्यान रहे कि दूसरा रमज़ान आ गया और मैं ने उसके रोज़े रखे और पिछले रमजान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा नहीं की है ॽ हमें इसके बारे में अवगत करायें, आप अज्र व सवाब के पात्र होंगे।
सख्त गर्मी में काम करने की वजह से रोज़ा तोड़ देने वाले का हुक्म
प्रश्न: 11539
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
यह आपके ऊपर हराम है, और आपके लिए जाइज़ नहींहै क्योंकि रमज़ान का रोज़ा इस्लाम के पाँच स्तंभों में से एक स्तंभ है, अल्लाह तआला का फरमानहै:
يَاأَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا كُتِبَ عَلَيْكُمُ الصِّيَامُ كَمَا كُتِبَ عَلَى الَّذِينَمِنْ قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُونَ[البقرة : 183]
“ऐ ईमान वालो! तुम पररोज़े रखना अनिवार्य किया गया है जिस प्रकार तुम से पूर्व लोगों पर अनिवार्य किया गयाथा, ताकि तुम सयंम और भय अनुभव करो।” (सूरतुल बक़राः 183)
उस समय अल्लाह के पास आप का क्या उज़्रर (बहाना)होगा जब आप क़ियामत के दिन अल्लाह के सामने खड़े होंगे, जबकि उसने आप को स्वास्थ्य दियाऔर इसके उपरांत भी आप ने उसके आदेश का पालन नहीं किया और और उसकी आयतों पर अमल नहींकिया, क्योंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान का फरमान है:
يَاأَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا كُتِبَ عَلَيْكُمُ الصِّيَامُ كَمَا كُتِبَ عَلَى الَّذِينَمِنْ قَبْلِكُمْ لَعَلَّكُمْ تَتَّقُونَ[البقرة : 183]
“ऐ ईमान वालो! तुम पररोज़े रखना अनिवार्य किया गया है जिस प्रकार तुम से पूर्व लोगों पर अनिवार्य किया गयाथा, ताकि तुम सयंम और भय अनुभव करो।” (सूरतुल बक़राः 183)
और अल्लाह का फरमान “तुम्हारे ऊपर लिख दियागया है।”अर्थात्तुम्हारे ऊपर फर्ज़ कर दिया गया है जिस तरह कि तुम से पहले लोगों पर फर्ज़ किया गया थाताकि तुम ईश्भय अपनाओ और संयमी बनो। इस आयत में अल्लाह ने तक़्वा (ईश्भय और सयंम) कोरोज़े का उद्देश्य और रोज़े को तक़्वा प्राप्त करने का साधन बनाया है, अतः आपके ऊपर ऐसा करनाहराम और निषिद्ध है। आपके ऊपर अनिवार्य है कि तौबा करें, इस्तिग़फार करें और जो कुछहो चुका उस पर पश्चाताप प्रकट करें। आपका काम करना कोई उज़्र (बहाना) नहींहै। आपके लिए संभव है किरात में काम करें। और यदि आप ऐसा न कर सकें तो काम छोड़ दें, क्योंकि यहाँ कोई ऐसीअनिवार्यता नहीं है, आप महीना समाप्त होने तक काम छोड़ दें या कोई आसान काम करें जिसकेसाथ आपके लिए रोज़ा रखना संभव हो, किंतु आप रमज़ान में केवल इस वजह से रोज़ा तोड़दें कि आप काम करते हैं तो यह जाइज़ नहीं है। यदि आपके ऊपर पिछले रमज़ान के कुछ रोज़ेबाक़ी हैं जिनकी आप ने क़ज़ा नहीं की है तो आप पर क़ज़ा करना और खाना खिलाना अनिवार्य है, प्रति दिन के बदले एकमुद्द (लगभग 510 ग्राम) गेंहूँ या आधा साअ् (लगभग 1.2 किलो ग्राम) उसके अलावा से खिलायें।तथा आपके ऊपर अनिवार्य है कि इस तरह का काम दुबारा न करें। अतः आप अल्लाह से माफी माँगेंऔर अल्लाह सर्वशक्तिमान के सामने खड़े होने को याद करें, इसी तरह इस बात को भी याद रखेंकि अल्लाह सर्वशक्तिमान आप का मुहासबा करेगा। अल्लाह तआला हमें और आप को उस चीज़ कीतौफीक़ दे जिसे वह पसंद करता और खुश होता है।
और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।
स्रोत:
समाहतुश्शैख अब्दुल्लाह बिन हुमैद के फतावा पृष्ठ : 172 से।