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महिला पर नमाज़ के अंदर अपने शरीर को छुपानाअनिवार्य है भले ही वह अपने पति के पीछे हो

प्रश्न: 12612

क्या मेरी पत्नी पर नमाज़ के अंदर हिजाब पहनना अनिवार्य है जबकि हम एक साथ नमाज़ पढ़ते हैं (हमारे साथ कोई दूसरा व्यक्ति नहीं होता है ) ?

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

नमाज़ के अंदर महिला की हालत, नमाज़ के अलावा हालतों से भिन्न होती है भले ही वह अपने पति के साथ ही क्यों न हो, क्योंकि महिला और पुरूष हर एक के लिए "औरह" (शरीर का वह भाग जिस का छुपाना पुरूष और स्त्री हर एक के लिये अनिवार्य होता है उसे अरबी भाषा में "औरह" कहा जाता है) को छुपाना नमाज़ की शर्तों में से एक शर्त है, और इस के बिना नमाज़ शुद्ध और मान्य नहीं हो सकती है।

आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा की हदीस से प्रमाणित है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : "अल्लाह तआला किसी व्यस्क महिला की नमाज़ दुपट्टा के बिना स्वीकार नहीं करता है।" इसे अबू दाऊद (किताबुस्सलात / 546) ने रिवायत किया है और शैख अल्बानी ने सहीह सुनन अबू दाऊद (हदीस संख्या : 596) में सहीह कहा है।

हदीस का अर्थ यह है कि बालिग (व्यस्क) महिला की नमाज़ शुद्ध और मान्य नहीं होती है, क्योंकि स्वीकृति के निषेद्ध होने का असल अर्थ शुद्धता और मान्यता का निषेद्ध ही होता है।

शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह फरमाते हैं : यदि महिला अकेले ही नमाज़ पढ़ रही हो तब भी उसे पर्दा करने का आदेश है, … ऐसी अवस्था में नमाज़ पढ़ने वाला नमाज़ के अंदर ऐसी चीज़ को भी छुपाता है जिसे नमाज़ के अलावा हालत में उस के लिए खुला रखना जाइज़ होता है।" (देखिये : मजमूउल फतावा 22/109)

इस आधार पर महिला के ऊपर नमाज़ के अंदर चेहरा और दोनों हथेलियों को छोड़ कर पूरा शरीर छुपाना अनिवार्य है। महिला का "औरह" क्या है जिसे नमाज़ के अंदर उस के लिये छुपाना अनिवार्य है, इस के बारे में जानकारी के लिये प्रश्न संख्या (1046) का उत्तर देखिये। और अल्लाह तआला ही सर्वश्रेष्ठ ज्ञान रखता है।

स्रोत

शैख मुहम्मद सालेह अल-मुनज्जिद

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