प्रश्नः मैं एक युवक हूँ, मैं मक्का में काम करता हूँ और मेरा परिवार जद्दह में रहता है। चुनाँचे मैं शनिवार से बुधवार तक मक्का में रहता था, और गुरुवार तथा शुक्रवार को मैं जद्दह में अपने परिवार के पास जाता था। एक हफ्ते, मैं जद्दह गया, और पाया कि मेरे पिता ने उस कमरे के डिजाइन को बदल दिया था जिसमें मैं सोया करता था; उन्होंने उस दरवाज़े को बंद कर दिया था जिसके माध्यम से मैं कमरे में प्रवेश करता था और उन्हों ने उस दीवार के सामने वाली दीवार में एक दरवाज़ा खोल दिया था, और उन्हों ने कमरे के फर्नीचर को भी बदल दिया था। अल्लाह का शुक्र है कि मैं अक्सर नमाज़ें मस्जिद में पढ़ता हूँ। लेकिन कुछ नमाज़ें छूट जाती हैं तो मैं उन्हें अपने कमरे में पढ़ता हूँ। कमरे में इन परिवर्तनों के एक महीने बाद मुझे पता चला कि मैं क़िब्ला के विपरीत दिशा में नमाज़ पढ़ रहा था। तो इसका क्या हुक्म है? याद दिलाने के लिए : (मैं केवल गुरुवार और शुक्रवार को वहाँ जाता हूँ, और अधिकांश नमाज़ें मस्जिद ही में पढ़ता हूँ।)
उसने अज्ञानता में क़िब्ला के विपरीत दिशा की ओर नमाज़ पढ़ी
प्रश्न: 143636
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
क़िब्ला की दिशा का सामना करना नमाज़ के सही होने की शर्तों में से एक शर्त है। जबकि उसकी दिशा से मामूली विचलन अनदेखी की जाती है, लेकिन एक बड़ा विचलन नहीं है। जैसे कि वह व्यक्ति जो क़िब्ला का पता चलाने के लिए अपनी पूरी कोशिश करता है और गलती कर जाता है, तो उसे माफ कर दिया जाता है। आपके प्रश्न से ऐसा प्रतीत होता है कि आप ने कोशिश नहीं की और न आप ने किसी से पूछा, बल्कि आप ने अपने कमरे में किए गए परिवर्तनों पर ध्यान ही नहीं दिया। इस लिए आप के लिए उन नमाज़ों को दोहराना अनिवार्य है।
अगर आप को उन नमाज़ों की संख्या जानने में समस्या होती है, तो आप एहतियात (सावधानी) से काम लें और इतनी नमाज़ें पढ़ें जिससे आपको गालिब गुमान हो जाए कि इससे आपकी ज़िम्मेदारी (दायित्व) समाप्त हो गई है।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर