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क़ुरआन करीम कंठस्थ करने वालों के लिए प्रोत्साहन पुरस्कार के रूप में ज़कात का भुगतान करना

प्रश्न: 146368

प्रश्न : कुछ परोपकारी संस्थाएं हैं जो धन (सदक़ात व ज़कात) इकट्ठा करती हैं, और उनके कुछ परोपकारी कार्य हैं, परंतु वे धार्मिक प्रतियोगिताओं का आयोजन करती हैं, जैसे क़ुरआन और सुन्नत का कंठस्थ करना, और विजेता को प्रोत्साहित करने के लिए ज़कात के मद से धन राशि दी जाती है, तो क्या यह जायज़ है कि नहीं?

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

उत्तर:

हर प्रकार
की प्रशंसा और
गुणगान केवल अल्लाह
के लिए योग्य है।

ज़कात केवल
उन्हीं लोगों पर
खर्च करना जायज़
है जिन्हें क़ुरआन
करीम ने स्पष्ट
रूप से वर्णन किया
है
:

إِنَّمَا الصَّدَقَاتُ لِلْفُقَرَاءِ وَالْمَسَاكِينِ وَالْعَامِلِينَ عَلَيْهَا
وَالْمُؤَلَّفَةِ قُلُوبُهُمْ وَفِي الرِّقَابِ وَالْغَارِمِينَ وَفِي سَبِيلِ
اللَّهِ وَابْنِ السَّبِيلِ فَرِيضَةً مِنَ اللَّهِ وَاللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٌ
[التوبة :60 ]

”सदक़े
(ज़कात) तो
मात्र
फक़ीरों,
मिसकीनों, उनकी
वसूली के
कार्य पर
नियुक्त
कर्मियों और
उन लोगों के
लिए हैं जिनके
दिलों को
आकृष्ट करना और
परचाना
अभीष्ट हो,
तथा गर्दनों
को छुड़ाने,
क़र्ज़दारों
के क़र्ज़
चुकाने,
अल्लाह के मार्ग
(जिहाद) में और
(पथिक)
मुसाफिर पर
खर्च करने के
लिए हैं। यह
अल्लाह की ओर
से निर्धारित
किए हुए हैं,
और अल्लाह
तआला बड़ा
जानकार,
अत्यंत
तत्वदर्शी (हिकमत
वाला) है।”
(सूरतुत्तौबाः60)

तो यह आठ प्रकार
के लोग हैं जिनके
लिए ज़कात भुगतान
किया जायेगा,
उनके अलावा
के लिए नहीं। तथा
प्रश्न संख्या
(125481), (21794) का उत्तर देखें।

जहाँ तक ज़कात
की कुछ राशि को
प्रोत्साहन पुरस्कार
के रूप में खर्च
करने की बात है,
तो यदि
विजेता उसके हक़दार
लोगों में से है
तो ज़कात से पुरस्कार
देना जायज़ है।
लेकिन यदि वह उसके
हक़दार लोगों में
से नहीं है,
तो जायज़
नहीं है।

तथा शैख इब्ने
जिब्रीन रहिमहुल्लाह
से प्रश्न किया
गया : क्या मुसलमानों
और ग़ैर-मुसलमानों
के लिए भाषण के
दौरान प्रोत्साहन
पुरस्कार के रूप
में ज़कात व्यय
करना जायज़ है?

उत्तर:

गरीब मुसलमानों
के लिए ज़कात खर्च
किया जा सकता
हैं, भले ही वह पुरस्कार
के तौर पर दिया
जाये। रही बात
काफिरों की, तो
उन्हें ज़कात नहीं
दिया जायेगा यदि
उनकी हठ विख्यात
हो। बल्कि उन्हें
उसके अलावा से
दिया जायेगा।’’
आदरणीय
शैख की साइट से
समाप्त हुआ।

तथा शैख सालेह
अल-फौज़ान हफिज़हुल्लाह
ने फरमाया :
‘‘इन आठ मदों
के अलावा में ज़कात
खर्च करना जायज़
नहीं है,
न तो पुलों
में न सार्वजनिक
परियोजनाओं में,
न स्कूलों
(मदारिस) में,
न मस्जिदों
में और न ही इनके
अलावा अन्य धर्मार्थ
परियोजनाओं में,
क्योंकि
इन परियोजनाओं
को स्वैच्छिक अनुदान
और इसके लिए विशिष्ट
औक़ाफ
(धर्मार्थ
दान) के द्वारा
वित्तीय आपूर्ति
की जाती है।’’

’’अल-मुन्तक़ा
मिन फतावा अल-फौज़ान’’
से अंत
हुआ।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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