मुझे पता है कि इस्लाम बीच सड़क (रास्ते, फुटपाथ) पर नमाज़ पढ़ने से मना करता है। लेकिन अगर मस्जिद भर जाए और हमें फुटपाथ पर नमाज़ पढ़ने की आवश्यकता पड़ जाए, तो क्या यह सही हैॽ
यदि मस्जिद भर जाए हो, तो बीच सड़क (रास्ते) पर नमाज़ पढ़ने का हुक्म
प्रश्न: 164176
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
फ़ुक़हा की बहुमत के निकट फुटपाथ (रास्ते) पर नमाज़ पढ़ना मकरूह (नापसंदीदा) है, जो कि सड़क का वह हिस्सा है जहाँ लोग चलते हैं।
वहाँ नमाज़ पढ़ने से मना करने का कारण यह है कि : यह लोगों के अधिकारों का हनन करता है और उनके लिए रास्ता को तंग करता है, और क्योंकि वह अपने आपको गुजरने वाले लोगों के साथ व्यस्त रखता है, इसलिए नमाज़ में उसका ध्यान कम हो जाता है।
लेकिन… अगर मुसलमानों को फुटपाथ (रास्ते) पर नमाज़ पढ़ने की ज़रूरत है ; क्योंकि मस्जिद संकरी (तंग) है, तथा कोई और जगह नहीं है जहाँ वे नमाज़ पढ़ सकें, तो उस समय रास्ते के बीच में (फुटपाथ पर) नमाज़ पढ़ने में कोई आपत्ति नहीं है।
देखें : “अल-मौसूअह अल-फिक़्हिय्यह” (27/114), (38/367)।
शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से पूछा गया :
यदि मस्जिद बहुत संकरी हो जाए, तो बाज़ार और मस्जिद के आस-पास की जगह में नमाज़ पढ़ने का क्या हुक्म हैॽ
तो उन्होंने जवाब दिया :
“यदि कोई व्यक्ति बाज़ार में या मस्जिद के आस-पास की खुली जगहों में नमाज़ पढ़ने के लिए मजबूर हो (उसके अलावा कोई विकल्प न हो) तो इसमें कोई आपत्ति की बात नहीं है। यहाँ तक कि जो लोग यह कहते हैं कि : रास्ते में नमाज़ पढ़ने से नमाज़ सही नहीं होती है, वे लोग (भी) जुमा की नमाज़ और ईद की नमाज़ को उससे अलग (अपवाद) रखते हैं, यदि मस्जिद भर जाए और लोग बाजारों में निकल जाएँ। सही दृष्टिकोण यह है कि ज़रूरत की हर चीज़ के लिए उसमें अपवाद किया जाएगा। इसलिए अगर मस्जिद भर गई है, तो लोगों के बाज़ारों में नमाज़ पढ़ने में कोई आपत्ति नहीं है।”
“मजमूओ फ़तावा व रसाइल इब्न उसैमीन” (12/331) से उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर