क्या दो से अधिक जानवरों की क़ुर्बानी करना धर्म संगत है? क्योंकि हम ने कुछ लोगों को तीन चार जानवरों की क़ुर्बानी करते हुए देखा है।
क्या दो और उससे अधिक जानवरों की क़ुर्बानी करने की अनुमति है?
प्रश्न: 176956
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
उत्तर:
हर प्रकारकी प्रशंसा औरगुणगान केवल अल्लाहके लिए योग्य है।
सर्वप्रथम :
क़ुर्बानीकरना धर्मसंगतऔर मुसतहब है।तथा वह, फुक़हाके बीच इस बारेमें मतभेद केअनुसार, सुन्नतमुअक्कदा या अनिवार्यहै। तथा प्रश्नसंख्या : (36432) का उत्तरदेखें।
दूसरा:
आदमीऔर उसके घर वालोंकी ओर से एक बकरीकाफी है, भले हीउनकी संख्याज़्यादा हो। क्योंकितिर्मिज़ी (हदीससंख्या : 1505) और इब्नेमाजा (हदीस संख्या: 3147) ने अता बिन यसारसे रिवायत कियाहै कि उन्हों नेकहा : मैं ने अबूअय्यूब अन्सारीसे प्रश्न कियाकि अल्लाह के पैगंबरसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम के समयकाल में क़ुर्बानीकैसे होती थी? तो उन्होंने कहा : आदमी अपनीओर से और अपने घरवालों की ओर सेएक बकरी ज़बह करताथा। चुनाँचे वेखुद खाते थे औरदूसरों को भी खिलातेथे। यहाँ तक किलोग गर्व प्रदर्शनकरने लगे तो उसकीवह स्थिति हो गईजो तुम देख रहेहो।’’
इमामनववी रहिमहुल्लाहफरमाते हैं : ‘‘बकरीएक आदमी की ओर सेकाफी होगी, एक सेअधिक की ओरसे काफी नहीं होगी।लेकि अगर घर काकोई एक आदमी उसकीक़ुर्बानी कर देतो उनमें से सबकी ओर से इस अनुष्ठानकी अदायगी हो जायेगी, और उनकेहक़ में क़ुर्बानीसुन्नते-किफायत(पर्याप्तता) होगी. .’’
‘‘अल-मजमूअ’’ (8/370) सेसमाप्त हुआ।
अगरउसने एक से अधिकक़ुर्बानी की तोइसमें कोई हानि(आपत्ति) नहीं है, बशर्तेकि वह गर्व प्रदर्शनके लिए न हो।
शैखइब्ने बाज़ रहिमहुल्लाहसे पूछा गया : क्याइस्लाम ने उन जानवरोंकी संख्या को निर्धारितकिया है जिनकीमुसलमान ईदुल अज़हाके दिन क़ुर्बानीकरता है? और यदि उसकीकोई संख्या हैतो वह कितनीहै?
तो उन्होंने उत्तर दिया: इसकी कोई निर्धारितसंख्या नहीं है, नबीसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम दो जानवरोंकी क़ुर्बानी करतेथे।उनमेंसे एक अपनी ओर औरअपने घर वालोंकी ओर से, तथा दूसरामुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमकी उम्मत में सेएकेश्वरवाद केअनुयायियोंकी ओर से। अगर इन्सानएक या दो या अधिकजानवर की क़ुर्बानीकरता है तो इसमेंकोई आपत्ति कीबात नहीं है।
अबूअय्यूब अन्सारीरज़ियल्लाहु अन्हुकहते हैं कि : हमनबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके समय काल मेंएक बकरी की क़ुर्बानीकरते थे। हम स्वयंखाते और दूसरोंको खिलाते थे।फिर उसके बाद लोगगर्व प्रदर्शनकरने लगे। सारांशयह कि एक बकरी काफीहै, यदि इन्सानअपने घर में अपनीओर से और अपने घरवालोंकी ओर से एक बकरीकी क़ुबानी करेतो इससे सुन्नतपर अमल हो जायेगा।और अगर वह इससेअधिक दो, तीन, चार, या एकऊँट या एक गाय कीक़ुर्बानी करे तोइसमें कोई आपत्तिकी बात नहीं है. . .’’ आदरणीय शैखकी साइट से समाप्तहुआ।
http://www.binbaz.org.sa/mat/11662
हालांकिसर्वश्रेष्ठ औरसर्वोचित यह हैकि वह अपनी ओर सेऔर अपने घर वालोंकी ओर से एक जानवरकी क़ुर्बानी परबस करे ; क्योंकियही नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमका फरीक़ा है।
जाबिरबिन अब्दुल्लाहरज़ियल्लाहु अन्हुमासे वर्णित है किउन्हों ने कहा: मैं अल्लाह केरसूल सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमके साथ ईदुल अज़हाके अवसर पर ईदगाहमें उपस्थित था।जब आप अपना खुत्बापूरा कर चुके तोमिंबर से नीचेउतरे और एक मेंढालाया गया, जिसेअल्लाह के रसूलसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम ने अपनेहाथ से ज़बह कियाऔर कहा बिस्मिल्लाह,अल्लाहु अक्बर, यह मेरीतरफ से और उस व्यक्तिकी तरफ से है जिसनेमेरी उम्मत मेंसे क़ुर्बानी नहींकी है।’’इसेअबू दाऊद (हदीससंख्या : 2810) ने रिवायतकिया है, और शैखअल्बानी ने सहीहअबू दाऊद में इसेसही कहा है।
शैखइब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाहने फरमाया : ‘‘इसमेंकोई संदेह नहींकि सुन्नत का पालनकरना उसके पालनन करने से बेहतरहै . . , और जबहम यह कहते हैंकि : सुन्नत यह हैकि एक घर वाले एकक़ुर्बानी पर निर्भरकरें, जिसे घर कामालिक अंजाम दे, तो इसकामतलब यह नहीं हैकि यदि उन्होंने एक से अधिक जानवरकी क़ुर्बानी करदी तो वे गुनाहगारहोंगे, वे गुनाहगारनहीं होंगे लेकिनसुन्नत की रक्षाकरना अधिक अमलकरने से बेहतरहै, और अल्लाहसर्वशक्तिमानका कथन है कि :
لِيَبْلُوَكُمْ أَيُّكُمْ أَحْسَنُ عَمَلاً [سورة الملك:2]
‘‘ताकितुम्हारीपरीक्षा करे कितुम में से कौनसबसे अच्छा कार्यकरनेवाला है।’’ (सूरतुलमुल्क : 2)
इसीलिएजब नबी सल्लल्लाहुअलैहि व सल्लमने दो आदमियोंको किसी काम केलिए भेजा, और उन्होंने पानी न मिलनेकी वजह से तयम्मुमकरके नमाज़ पढ़ ली, फिरउन्हें पानी मिलगया। तो उनमेंसे एक ने वुज़ू करकेनमाज़ को लौटा लिया, जबकिदूसरे ने न वुज़ूकिया न नमाज लौटाई।अल्लाह के पैगंबरसल्लल्लाहु अलैहिव सल्लम से इसकाचर्चा किया गयातो आप ने उस आदमीसे जिसने नमाज़नहीं लौटाई थीफरमाया कि : तू नेसुन्नत को पा लिया, और दूसरेसे फरमाया : तेरेलिए दोहरा सवाबहै। तो इन दोनोंमें से कौन बेहतरहै? वह आदमी जिसनेसुन्नत को पा लिया,अगरचे इसके लिएदोहरा सवाब है; क्योंकि उसेदो बार सवाब इसलिएमिला क्योंकि उसनेदो अमल किया जिनकेद्वारा वह अल्लाहकी निकटता प्राप्तकरने की नीयत रखताथा, इसलिए उसेदो अमल काप्रतिफल मिला।किंतु वह उस आदमीके समान नहीं हैजिसने सुन्नत कोपा लिया।’’
फतावा”नूरून अला अद-दर्ब’’ से समाप्तहुआ।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
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