मैं ने विवाह किया है (अपनी पत्नी से अक़्द-निकाह) किया है, लेकिन उसकी विदाई नहीं हुई है (अर्थात उससे एकांत में मिलाप नहीं हुआ है), तो क्या मेरे ऊपर उसकी ओर से क़ुर्बानी करना अनिवार्य है?
क्या वह अपनी उस पत्नी की ओर से क़ुर्बानी करेगा जिससे उसने विवाह किया है परंतु उससे एकांत में नहीं मिला है?
प्रश्न: 191515
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
उत्तर :
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है।
क़ुर्बानी इस्लाम के अनुष्ठानों और प्रतीकों में से एक प्रतीक है, यह उसकी ताक़त रखने वाले व्यक्ति के लिए सुन्नत मुअक्कदा है। चुनांचे इन्सान अपनी ओर से और अपने घर वालों की ओर से क़ुर्बानी करेगा।
तथा फायदा के लिए प्रश्न सख्या : (36432) का उत्तर देखें।
तथा प्रश्न संख्या : (36387) के उत्तर में गुज़र चुका है कि यदि आदमी अपनी ओर से और अपने घर वालों की ओर से क़ुर्बानी करता है तो उसमें उसके घर वालों में से जिसकी भी उसने नीयत की है दाखिल हो जाते हैं, जैसे उसकी बीवी और बच्चे वगैरह, चाहे वह ज़िन्दा हों या मुर्दा।
तथा शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह ने फरमाया :
”आदमी अपनी ओर से और अपने घर वालों की ओर से एक जानवर की क़ुर्बानी करेगा, और वह ज़िन्दा व मुर्दा सबको सम्मिलित होगी। यही सुन्नत है।’’
फतावा ”नूरून अलद-दर्ब” से समाप्त हुआ।
एक जानवर की क़ुर्बानी आदमी और उसके घर वालों की तरफ से काफी है, उनकी संख्या चाहे कितनी भी हो, उसके लिए यह ज़रूरी नहीं है कि वह अपनी ओर से और हर उस व्यक्ति की ओर से जिसकी ओर से वह क़ुर्बानी करना चाहता है, अलग-अलग जानवर ज़बह करे।
जिस स्त्री से अक़्द-निकाह किया गया है, वह पत्नी है। अतःवह क़ुर्बानी करने वाले के घर-परिवार वालों में से है, और उसके लिए उसकी तरफ से एक अलग क़ुर्बानी करना ज़रूरी नहीं है।
यदि उस औरत के पिता ने अपनी ओर से और अपने घर वालों की ओर से क़ुर्बानी कर दी, तो वह उसकी ओर से काफी होगी, क्योंकि वह अभी उसकी के पास है, और उसका खर्च उसी के ऊपर है।
इस बारे में मामला के अंदर विस्तार है, और सर्व प्रशंसा अल्लाह के लिए है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
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