हमने आपकी वेबसाइट और अन्य वेबसाइटों पर अनेक बार पढ़ा है कि सफेद पानी के अलावा, मासिक धर्म से पवित्र होने की निशानियों में से एक निशानी पूर्ण सूखापन है। और उसका नियम यह है कि महिला जगह को पोंछे या रुई का एक टुकड़ा डाले। अगर वह किसी भी निशान से रिक्त निकले, तो उसे मासिक धर्म से पवित्रता समझा जाएगा। मेरा प्रश्न यह है : क्या इस प्रकार रुई या इसी तरह की अन्य चीज़ के साथ जाँच करना इसी तरीक़े से अनिवार्य है। या इसका उद्देश्य केवल मासिक धर्म से पवित्रता को सुनिश्चित करना है, जो किसी भी तरह से किया जा सकता हैॽ चुनाँचे इस महिला की आदत यह है कि वह एक अवधि तक उदाहरण के तौर पर चौबीस घंटे इंतज़ार करती है। और अगर उसके कपड़ों पर कुछ भी नहीं निकला – और वह जानती है कि उसके मासिक धर्म की अवधि सात या आठ दिन है -, तो रुई से पोंछे बिना ही वह ग़ुस्ल करती है और नमाज़ पढ़ती है। तो क्या यह सही है, या उसे जाँचने के लिए पोंछना ज़रूरी हैॽ
क्या महिला के लिए मासिक धर्म से पवित्रता जाँचने के लिए रुई का टुकड़ा रखना आवश्यक है, या उसके लिए चौबीस घंटे इंतज़ार करना पर्याप्त है, फिर वह गुस्ल कर सकती हैॽ
प्रश्न: 296313
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
पहला : महिला के मासिक धर्म से पवित्र होने के संकेत
एक महिला को दो संकेतों में से किसी एक के द्वारा मासिक धर्म से पवित्रता का पता चल सकता है :
1- सूखापन, इस प्रकार कि योनि से रक्त, तथा पीले और भूरे रंग के द्रव्य का स्राव बंद हो जाए। इसका तरीक़ा यह है कि वह अपनी योनि में रुई आदि का टुकड़ा डाल कर देखे, तो वह साफ-सुथरा निकले, उसपर उपर्युक्त चीज़ों का कोई निशान न हो।
2- सफेद निर्वहन (पानी), यह चूने की तरह एक तरल है। बहुत-सी महिलाएँ यह सफेद निर्वहन नहीं देखती हैं।
यदि योनि में सूखापन (निर्जलीकरण) प्रकट हो जाए, तो यह पवित्रता के निर्णय के लिए पर्याप्त है, और सफेद निर्वहन के निकलने की प्रतीक्षा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
अल-बाजी ने “अल-मुन्तक़ा शर्ह अल-मुवत्ता” (1/119) में कहा : (मासिक धर्म से) पवित्रता में सामान्य तौर पर दो चीजें होती हैं :
[पहली चाज़ :] सफेद निर्वहन : यह सफेद पानी है। अली बिन ज़ियाद ने मालिक से रिवायत किया है कि : यह वीर्य की तरह होता है। इब्नुल-क़ासिम ने मालिक से रिवायत किया है कि : यह मूत्र की तरह होता है।
दूसरी चीज़ : सूखापन। इसकी विधि यह है कि महिला अपनी योनि में रुई या कपड़ा डालकर देखे, तो वह सूखा हुए निकले, उस पर खून का कोई निशान न हो।
इस संबंध में महिलाओं की आदत भिन्न होती है; उनमें से कुछ की आदत यह होती है कि वे सफेद निर्वहन देखती हैं, तथा उनमें से कुछ की आदत सूखापन देखने की होती है। इसलिए जिसकी आदत उन दोनों में से एक को देखने की है, तो जब वह उसे देख ले, तो यह माना जाएगा कि वह अपने मासिक धर्म से पवित्र हो गई।” उद्धरण समाप्त हुआ।
दूसरी बात : मासिक धर्म के समाप्त होने को सुनिश्चित करना
अगर आपके मासिक धर्म की आदत सात या आठ दिन है; तो सातवें दिन के अंत में आपको यह देखना चाहिए कि : आपका मासिक धर्म समाप्त हुआ है या नहींॽ
ऐसा करना ठीक (वैध) नहीं है कि आप चौबीस घंटे इंतज़ार करें, और फिर रुई आदि का टुकड़ा डालकर जांच किए बिना और सफेद निर्वहन के उत्सर्जन के बिना ही ग़ुस्ल कर लें। इसके दो कारण हैं :
पहला कारण : यह है कि हो सकता है कि सातवें दिन के अंत में मासिक धर्म समाप्त हो गया हो। इस तरह आप नमाज़ और अनिवार्य रोज़ा छोड़ देंगी।
दूसरा कारण : यह है कि मासिक धर्म आठवें दिन के बाद तक (भी) जारी रह सकता है। इस स्थिति में आपका – पवित्रता को सुनिश्चित किए बिना – ग़ुस्ल करना सही (मान्य) नहीं होगा।
इसके आधार पर; आपके लिए रुई डालकर जाँच करना आश्यक है। केवल योनि के बाहर पोंछना पर्याप्त नहीं है, कुछ समय के लिए प्रतीक्षा करने और फिर ग़ुस्ल करने की बात तो छोड़ ही दें।
इसके प्रमाणों में निम्नलिखित शामिल है :
मालिक ने “अल-मुवत्ता” (130) में उम्मे अलक़मह से रिवायत किया है कि उन्होंने कहा : “महिलाएँ मोमिनों की माता आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा के पास डिबिया भेजती थीं जिसमें रुई होती थी, उसमें मासिक धर्म के रक्त का पीलापन होता था। वे उनसे नमाज़ के बारे में पूछती थीं।
तो वह उनसे कहती थीं कि : जल्दी मत करो यहाँ तक कि तुम सफेद निर्वहन (द्रव) देख लो।
इससे उनका मतलब मासिक धर्म से पवित्रता होता था”
इसे बुखारी ने (किताबुल ह़ैज़, बाब इक़बालिल मह़ीज़ व इद्बारिहि) के तहत मुअल्लक़न रिवायत किया है।
उन्होंने केवल रुई का टुकड़ा रखने पर निर्भर नहीं किया, बल्कि वे उसे आयशा रज़ियल्लाहु अन्हु के पास भेजती थीं, यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे अपने मासिक धर्म से पवित्र हो गईं।
तीसरा :
कुछ विद्वानों का मानना है कि महिला को रात के मध्य में अपनी पवित्रता को देखने (जाँचने) की आवश्यकता नहीं है। बल्कि उसे ऐसा नमाज़ के समय के क़रीब करना चाहिए। तथा उसके लिए सोने से पहले और सुबह की नमाज़ के समय अर्थात् सूर्योदय से पहले ऐसा करना आश्यक है।
बुखारी रहिमहुल्लाह ने अपनी सहीह में फरमाया : “मासिक धर्म के आने और उसके समाप्त होने का अध्याय … ज़ैद बिन साबित रज़ियल्लाहु अन्हु की बेटी को यह बात पहुँची कि महिलाएँ मध्य रात में दीपक मंगाकर पवित्रता को देखती हैं।
तो उन्होंने कहा : महिलाएँ ऐसा नहीं करती थीं। और उन्होंने इसे उनके लिए दोषपूर्ण समझा।” उद्धरण समाप्त हुआ।
इस रिवायत को मालिक ने ‘अल-मुवत्ता’ में उल्लेख किया है।
इब्ने अब्दुल-बर्र रहिमहुल्लाह ने कहा : ज़ैद बिन साबित की बेटी ने नमाज़ के समय और उसके क़रीब के अलावा समय में अपनी स्थितियों की जाँच करने पर महिलाओं की आलोचना इसलिए की; क्योंकि मध्य रात नमाज़ का समय नहीं है। बल्कि महिलाओं को केवल नमाज़ के लिए अपनी स्थिति का जायज़ा लेना चाहिए। फिर अगर वे मासिक धर्म से शुद्ध हो चुकी हैं, तो वे ग़ुस्ल करने के लिए तैयार होंगी, क्योंकि उन्हें नमाज़ पढ़नी है।”
तथा इसे भी देखें : अल-बाजी की पुस्तक “अल-मुन्तक़ा शर्ह अल-मुवत्ता” (1/120), इब्ने ह़जर की पुस्तक “फ़त्हुल-बारी” (1/421)।
अद-दरदीर ने “अश-शर्हुल-कबीर” (1/172) में कहा : “मासिक धर्म वाली महिला को, न तो अनिवार्य रुप से और न ही ऐच्छिक तौर पर, फ़ज्र से पहले मासिक धर्म से अपनी पवित्रता को देखना (निरीक्षण करना) नहीं चाहिए, इस आशा में कि वह मग़रिब और इशा की नमाज़ और रोज़े को पा जाए। बल्कि ऐसा करना मक्रूह (नापसंद) है, क्योंकि यह लोगों का काम नहीं रहा है। और इसलिए कि इमाम ने कहा : मुझे यह पसंद नहीं है। बल्कि उसे रात को सोते समय अपनी स्थिति की जाँच करनी चाहिए, ताकि उसे रात की नमाज़ और रोज़े के हुक्म का पता चल सके। और मूल सिद्धांत यह है कि वह निरंतर अपनी स्थिति पर बनी हुई है। तथा उसे फज्र की नमाज़ के समय और अन्य नमाज़ो के समय, ऐसा अनिवार्य रूप से करना चाहिए, लेकिन इस अनिवार्यता में विस्तार है, यहाँ तक कि जब केवल ग़ुस्ल करने और नमाज़ पढ़ने भर का समय शेष रह जाए; तो उस समय यह अनिवार्यता संकीर्ण हो जाती है (अर्थात् उसे अविलंब करना होता है)।” उद्धरण समाप्त हुआ।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर