एक हाजी हज्ज करने का इरादा रखता है, लेकिन उसका मक्का में और फिर मदीना में कुछ काम है। उसने मीक़ात को पार किया और एहराम में प्रवेश नहीं किया। और मक्का में दाख़िल होगया, फिर उसने मदीना का सफ़र किया और मदीना के मीक़ात से हज्ज का एहराम बाँधा। तो उसके इस व्यवहार का क्या हुक्म हैॽ
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हज्ज या उम्रा का इरादा रखने वाले का मीक़ात को पार करना, फिर उसपर वापस आना
प्रश्न: 34296
उत्तर का पाठ
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
जब हाजी मदीना के लोगों की मीक़ात पर चला गया, और वहाँ से एहराम बाँधकर आया, तो अब उसके बिना एहराम के मक्का में प्रवेश करने के कारण उसपर कुछ भी अनिवार्य नहीं है। हालाँकि उसके लिए बेहतर यह था कि वह अपनी पहली मीक़ात से एहराम की हालत में प्रवेश करता।
और अल्लाह तआला ही सामर्थ्य प्रदान करने वाला है।
स्रोत:
अल-लजनह अद-दाईमह लिल-बुहूस अल-इल्मिय्यह वल-इफ़्ता (11/155)