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जो व्यक्ति क़ज़ा के दिन रोज़ा तोड़ दे, तो क्या उसे तीन दिन रोज़ा रखना चाहिएॽ!!

प्रश्न: 39864

मैंने क़ज़ा के दिन बिना किसी उज़्र के रोज़ा तोड़ दिया। अब मुझे क्या करना चाहिएॽ मैंने कुछ लोगों को यह कहते सुना है कि मुझे उसके बाद तीन दिन का रोज़ा रखना चाहिए।

उत्तर का पाठ

अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।

रमज़ान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करना अनिवार्य रोज़े में से है, जिसे किसी शरई (वैध) उज़्र के बिना किसी व्यक्ति के लिए तोड़ना जायज़ नहीं है। यदि कोई व्यक्ति छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करना शुरू कर देता है, तो उसके लिए उसे पूरा करना आवश्यक है।

प्रश्न संख्या : (39752 ) देखें।

यदि वह रमज़ान के छूटे हुए रोज़े की क़ज़ा करने के दौरान रोज़ा तोड़ देता है, तो उसके लिए उस दिन की क़ज़ा करना अनिवार्य है। अगर उसने बिना किसी उज़्र के रोज़ा तोड़ दिया, तो उसे छूटे हुए रोज़े की क़ज़ा करने के साथ-साथ सर्वशक्तिमान अल्लाह के सामने इस पाप से तौबा करना चाहिए।

जहाँ तक आपने उस दिन के बदले में तीन दिन रोज़ा रखने का उल्लेख किया है, तो इसका कोई आधार नहीं है।

बल्कि, कुछ विद्वानों ने कहा कि उसपर दो दिन का रोज़ा रखना अनिवार्य है : एक रमज़ान के दिन का और दूसरा क़ज़ा के दिन का।

लेकिन सही मत यह है कि उसे केवल एक दिन का रोज़ा रखना है।

इब्ने हज़्म ने “अल-मुहल्ला” (6/271) में कहा : “जो कोई रमज़ान के छूटे हुए रोज़े की क़ज़ा करते समय जानबूझकर अपना रोज़ा तोड़ देता है, उसपर केवल एक दिन की क़ज़ा करना अनिवार्य है, क्योंकि (क़ज़ा तोड़ने के बदले) क़ज़ा अनिवार्य करना एक ऐसा शरई हुक्म अनिवार्य करना है जिसकी अल्लाह तआला ने अनुमति नहीं दी है। जबकि सहीह रिवायत में वर्णित है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने रमज़ान के उस दिन की क़ज़ा की है। इसलिए बिना किसी शरई नस (क़ुरआन या हदीस के प्रमाण) या विद्वानों की सर्वसहमति के उसमें कुछ और जोड़ना जायज़ नहीं है।”

उद्धरण समाप्त हुआ।

स्रोत

साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर

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