मैं सऊदी अरामको कंपनी का कर्मचारी हूँ। मैं ‘हरज़’ क्षेत्र में शिफ्ट में काम करता हूँ। मैं सात दिन की अवधि के लिए प्रति दिन बारह घंटे, शाम 6 बजे से सुबह 6 बजे तक काम करता हूँ। मुझे ज़ुहर और अस्र की नमाज़ को उनके समय पर जमाअत के साथ अदा करने में कठिनाई का सामना होता है। क्या हमारे लिए ज़ुहर और अस्र की नमाज़ एक साथ पढ़ना जायज़ है? ज्ञात रहे कि मैं जद्दा में रहता हूँ और मैं हरज़ में केवल काम के लिए आता हूँ, फिर सप्ताह के अंत में जद्दा वापस आ जाता हूँ। मैं समय पर नमाज़ अदा करने के लिए उठने की बहुत कोशिश करता हूँ, लेकिन अकसर समय मेरी जमाअत के साथ नमाज़ छूट जाती है।
उसका काम फज्र तक रहता है, तो क्या वह ज़ुहर और अस्र को एकत्र कर सकता है?
प्रश्न: 98647
अल्लाह की हमद, और रसूल अल्लाह और उनके परिवार पर सलाम और बरकत हो।
सबसे पहले :
काम-काज करने वालों और अन्य लोगों के लिए आवश्यक है कि वे नमाज़ को उनके समय पर अदा करें; क्योंकि अल्लाह तआला का फरमान है :
إِنَّ الصَّلَاةَ كَانَتْ عَلَى الْمُؤْمِنِينَ كِتَابًا مَوْقُوتًا
النساء: 103
"निःसंदेह नमाज़ मोमिनों पर एक निश्चित समय पर अनिवार्य है।'' (सूरतुन-निसा : 103)।
तथा अल्लाह ने ईमानवालों की प्रशंसा की है कि उनके कार्य उन्हें अल्लाह की आज्ञाकारिता से विचलित नहीं करते हैं। अल्लाह तआला ने फरमाया :
رِجَالٌ لا تُلْهِيهِمْ تِجَارَةٌ وَلا بَيْعٌ عَنْ ذِكْرِ اللَّهِ وَإِقَامِ الصَّلاةِ وَإِيتَاءِ الزَّكَاةِ يَخَافُونَ يَوْماً تَتَقَلَّبُ فِيهِ الْقُلُوبُ وَالأَبْصَارُ * لِيَجْزِيَهُمُ اللَّهُ أَحْسَنَ مَا عَمِلُوا وَيَزِيدَهُمْ مِنْ فَضْلِهِ وَاللَّهُ يَرْزُقُ مَنْ يَشَاءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ
النور :37-38
“ऐसे लोग, जिन्हें अल्लाह के स्मरण से और नमाज़ क़ायम करने और ज़कात देने से न कोई व्यापार ग़ाफ़िल करता है और न कोई क्रय-विक्रय। वे उस दिन से डरते हैं, जिसमें दिल तथा आँखें उलट जाएँगी। ताकि अल्लाह उन्हें उसका सर्वश्रेष्ठ बदला दे जो उन्होंने किया, और उन्हें अपने अनुग्रह से अधिक प्रदान करे और अल्लाह जिसे चाहता है, बेहिसाब जीविका देता है।” (सूरतुन-नूर : 37-38)।
इसलिए आपको चाहिए कि नमाज़ के समय जागने का प्रयास करें, और उन साधनों एवं उपायों को अपनाएँ जो ऐसा करने में आपकी मदद करें। फिर अगर ऐसा हुआ कि कभी आप सो गए और आपकी जमाअत के साथ नमाज़ छूट गई, जबकि आप समय पर जागने के इच्छुक थे और उसके कारणों एवं उपायों को अपनाए थे, तो आप पर कोई दोष नहीं हैं।
दूसरा :
यदि कोई व्यक्ति किसी शहर की यात्रा करे और वहाँ चार दिन से अधिक रहने का इरादा करे, तो वह वहाँ के एक निवासी के हुक्म के तहत आएगा और उसके लिए पूरी नमाज़ पढ़ना ज़रूरी है, और सफ़र की वजह से उसके लिए दो नमाज़ों को एक साथ पढ़ना जायज़ नहीं है। लेकिन दो नमाज़ों को एक साथ पढ़ना यात्रा के लिए विशिष्ट नहीं है। बल्कि बीमारी, बारिश और कठिनाई जैसे अन्य कारणों से भी जायज़ है।
इसका उल्लेख प्रश्न संख्या : (38079 ) के उत्तर में किया जा चुका है।
इस आधार पर, यदि आपका प्रबल गुमान यह है कि आप ज़ुहर की नमाज़ के लिए जाग नहीं पाएँगे और यह आपके लिए बहुत कठिन है, तो इन शा अल्लाह – अगर अल्लाह ने चाहा -, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है कि आप ज़ुहर की नमाज़ को विलंबित कर दें ताकि आप इसे अस्र की नमाज़ के साथ एकत्र करके पढ़ें। लेकिन बशर्ते कि आप ऐसा केवल कठिनाई होने पर करें। और यह एक निरंतर मामला नहीं होना चाहिए है, चाहे आपको कठिनाई का अनुभव हो या न हो।
और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।
स्रोत:
साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर
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