एक कार दुर्घटना के कारण वह होश खो बैठा, क्या अब वह रमज़ान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करेगाॽ
फर्ज़ रोज़े की क़ज़ा के दौरान रोज़ा तोड़ने का हुक्म
रोज़े की क़ज़ा करने से पहले क़ज़ा को विलंबित करने का फिद्या देने का हुक्म
उसे संदेह है कि उसने यौवन तक पहुँचने के बाद रमज़ान का रोज़ा रखा या नहीं, तो उसे क्या करना चाहिएॽ
मेडिकल जाँच के बाद उससे कुछ निकला
जो व्यक्ति क़ज़ा के दिन रोज़ा तोड़ दे, तो क्या उसे तीन दिन रोज़ा रखना चाहिएॽ!!
वह पहले अपने ऊपर अनिवार्य रोज़े की क़ज़ा करेगा, फिर मृतक की ओर से रोज़ा रखेगा
रमज़ान के रोज़ों की अलग-अलग दिनों में क़ज़ा करने वाले पर कोई आपत्ति नहीं है
शाबान के दूसरे अर्ध भाग में रमज़ान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करने में कोई आपत्ति की बात नहीं है
रोज़े की क़ज़ा में विलंब करना
रोज़ों की क़ज़ा को विलंब करने का कफ़्फ़ारा रिश्तेदारों को भुगतान करने का हुक्म
रमज़ान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करने की नीयत से शक के दिन रोज़ा रखना
वह रात ही से रोज़े की नीयत किए बिना रमज़ान की क़ज़ा के रोज़े रखती थी, वह सुबह के समय रोज़े की नीयत करती थी, तो अब उसे क्या करना चाहिएॽ
उस आदमी का हुक्म जो रमज़ान की क़ज़ा भूल गया और दूसरा रमज़ान आ गया
जो व्यक्ति बिना किसी उज़्र के रमज़ान का रोज़ा न रखे अथवा बीच रमज़ान में जानबूझ कर रोज़ा तोड़ दे तो क्या उस पर क़ज़ा करना अनिवार्य है?
यदि शेष दिन पर्याप्त नहीं हैं तो क्या वह क़ज़ा करने से पहले शव्वाल के छ: रोज़े से शुरूआत करेगा ?
शव्वाल के छ: रोज़ों के साथ रमज़ान की क़ज़ा को एक ही नीयत में एकत्रित करना शुद्ध नहीं है
शव्वाल के महीने के दूसरे दिन रोज़ा रखना जायज़ है।
रोज़े के फ़िद्या में खाना खिलाने के बदले पैसा निकालना जायज़ नहीं है
जिस व्यक्ति पर रमज़ान के रोज़े हों, जिनकी संख्या उसे याद न हो
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