सुन्नियों और शियाओं के बीच मैत्री संभव नहीं है
यज़ीद बिन मुआविया के बारे में हमारा रुख
आशूरा का रोज़ा केवल छोटे गुनाहों को मिटाता है, बड़े गुनाहों के लिए तौबा ही है
जो व्यक्ति क़ुर्बानी को तश्रीक़ के दिनों तक विलंब करना चाहता है क्या उसके ऊपर अपने बाल और नाखून काटना निषिद्ध है?
उस आदमी का हुक्म जो क़ुर्बानी करता है जबकि वह नमाज़ का छोड़ने वाला है
क्या गैर शादीशुदा महिला के लिए अपनी तरफ से क़ुर्बानी करना जायज़ है
”घर वालों” का नियम क्या है जिनकी ओर से एक क़ुर्बानी काफी होता है
दस दिनों के बजाय (दस रातों) के उल्लेख की हिकमत (बुद्धिमत्ता) क्या है?
उसने ज़ुलहिज्जा के नौ रोज़े रखने की मन्नत मानी है और उसका पति उसे मना कर रहा है
ज़ुल-हिज्जा के दिनों में अप्रतिबंधित और प्रतिबंधित तक्बीर (अल्लाहु अक्बर कहना)
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