शव्वाल के महीने के दूसरे दिन रोज़ा रखना जायज़ है।
यदि शेष दिन पर्याप्त नहीं हैं तो क्या वह क़ज़ा करने से पहले शव्वाल के छ: रोज़े से शुरूआत करेगा ?
क्या महिला को रमज़ान की क़ज़ा से शुरूआत करनी चाहिए या शव्वाल के छ: रोज़े से ?
रमज़ान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करने की नीयत से शक के दिन रोज़ा रखना
जो व्यक्ति क़ज़ा के दिन रोज़ा तोड़ दे, तो क्या उसे तीन दिन रोज़ा रखना चाहिएॽ!!
रमज़ान के रोज़ों की क़ज़ा में निरंतरता अनिवार्य नहीं है
वह रोज़े की क़ज़ा शुरू करने से पहले गर्भवती होगई और वह रोज़ा रखने में सक्षम नहीं है
रोज़े की क़ज़ा में विलंब करना
शाबान के दूसरे अर्ध भाग में रमज़ान के छूटे हुए रोज़ों की क़ज़ा करने में कोई आपत्ति की बात नहीं है
जिस व्यक्ति पर रमज़ान के रोज़े हों, जिनकी संख्या उसे याद न हो
तश्रीक़ के दिनों में अनिवार्य रोज़े की क़ज़ा करना सही नहीं है
फर्ज़ रोज़े की क़ज़ा के दौरान रोज़ा तोड़ने का हुक्म
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