हदीस : ”जिसने हज्ज किया और अश्लीलता से उपेक्षा किया …” का अर्थ
हज्ज अनिवार्य हुक़ूक़ जैसे कफफारात और क़र्ज़ को समाप्त नहीं करता है।
ऐसे धन से हज्ज करना जो मूल रूप से व्याज पर आधारित ऋण है
क्या वह अपनी पत्नी की बीमारी की वजह से हज्ज को विलंब कर देगा
क्या हज्ज करने के बाद मुसलमान के पापों की क्षमा सुनिश्चित है या कि वह चिंतित और डरता हुआ रहेगा?
जिसने हज्ज या उम्रा में किसी दूसरे का प्रतिनिधित्व किया, क्या उसे उसके समान सवाब मिलेगा?
क्या उसके लिए सोने को गिरवी रखना जायज़ है ताकि वह और उसकी पत्नी हज्ज करने के लिए धन प्राप्त कर सकें?
क्या उस आदमी का हज्ज सही है जिसने अपना क़र्ज़ भुगतान नहीं किया है?
रमज़ान के दिन में शैतान को गाली देने का हुक्म
”रमज़ान में तीस दिनों के लिए तीस दुआयें” नामी पत्रक पर टिप्पणी
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