रोज़ा के सही होने के लिए सेहरी खाना शर्त नहीं है
यदि कोई व्यक्ति हुक्म या समय का ज्ञान न होने के कारण रोज़ा तोड़ने वाली चीज़ों का उपयोग कर ले
आदमी का रोज़े की हालत में अपनी पत्नी को गले लगाना
उसने सोचा कि क़ज़ा का रोज़ा स्वैच्छिक रोज़े की तरह है जिसको तोड़ना जायज़ है
उसने रोज़ा रखा जबकि उसे मासिक धर्म से शुद्धता में संदेह था
यदि निफास वाली महिला चालीस दिनों से पहले पवित्र हो जाती है, तो उसे ग़ुस्ल करना चाहिए और नमाज़ पढ़ना चाहिए और रोज़ा रखना चाहिए
सपोसिटरी (दवा की बत्ती) का उपयोग करना रोज़े को अमान्य नहीं करता है
साइनस (प्रतिश्याय) रोग से ग्रसित व्यक्ति के गले से नीचे उतरने वाला बलग़म उसके रोज़े की शुद्धता को प्रभावित नहीं करता है
पेट से पलट कर आनेवाले भोजन का रोज़े पर प्रभाव
क्या बिना इरादा के भोजन का अवशेष टुकड़ा मनुष्य के पेट में चले जाने से उसका रोज़ा टूट जाएगा?
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