यदि शेष दिन पर्याप्त नहीं हैं तो क्या वह क़ज़ा करने से पहले शव्वाल के छ: रोज़े से शुरूआत करेगा ?
शव्वाल के छ: रोज़ों के साथ रमज़ान की क़ज़ा को एक ही नीयत में एकत्रित करना शुद्ध नहीं है
शव्वाल के महीने के दूसरे दिन रोज़ा रखना जायज़ है।
रोज़े के फ़िद्या में खाना खिलाने के बदले पैसा निकालना जायज़ नहीं है
जिस व्यक्ति पर रमज़ान के रोज़े हों, जिनकी संख्या उसे याद न हो
उसने दो साल रोज़े नहीं रखे और अब वह क़ज़ा करने में असक्षम है, तो उसे क्या करना चाहिए?
वह रोज़े की क़ज़ा शुरू करने से पहले गर्भवती होगई और वह रोज़ा रखने में सक्षम नहीं है
जो व्यक्ति बिना किसी उज़्र के रमज़ान का रोज़ा न रखे अथवा बीच रमज़ान में जानबूझ कर रोज़ा तोड़ दे तो क्या उस पर क़ज़ा करना अनिवार्य है?
तश्रीक़ के दिनों में अनिवार्य रोज़े की क़ज़ा करना सही नहीं है
क्या वह शव्वाल के छः रोज़े रखना शुरू कर सकता है जबकि उसके ऊपर रमज़ान की क़ज़ा बाक़ी है
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