रोज़े में ज़बान से नीयत के शब्द बोलना बिदअत है
उस व्यक्ति के गुण जिसे इफ़्तार करवाने से रोज़ेदार को इफ़्तार करवाने का प्रतिफल मिलता है
स्वयं वांछित रोज़े और ग़ैर स्वयं वांछित रोज़े के बीच नीयत साझा करने से अभिप्राय
उसने अज्ञानता के कारण फज्र उदय होने के बाद सह़री की
“ऐ अल्लाह! मैं रोज़े से हूँ” कहना
क़ज़ा के रोज़े में मूल रोज़े की तरह रात ही के समय से नीयत करना आवश्यक है।
वह रमज़ान में नाक की बूंदों के बिना नहीं रह सकती
वह सोचता है कि उसने रोज़ा रखा लेकिन वह नीयत का नवीकरण करना भूल गया
उसकी बहन को डाउन सिंड्रोम है तो क्या रोज़ा न रखने के कारण उसके लिए कफ़्फ़ारा अनिवार्य हैॽ
क्या अज़ान सुनने से पहले रोज़ा इफ्तार करना जायज़ हैॽ
डाक सेवा की सदस्यता लें
साइट की नवीन समाचार और आवधिक अपडेट प्राप्त करने के लिए मेलिंग सूची में शामिल हों
इस्लाम प्रश्न और उत्तर एप्लिकेशन
सामग्री का तेज एवं इंटरनेट के बिना ब्राउज़ करने की क्षमता