क्या उसके लिए जायज़ है कि वह केवल उम्रा का एहराम बांधे फिर मक्का से हज्ज की नीयत करे?
क्या क़िरान हज्ज करनेवाले के लिए अपनी नीयत को इफ़्राद हज्ज में बदलने की अनुमति हैॽ
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