क्या “ला इलाहा इल्लल्लाह अददल हरकाति वस्सुकून” कहने के बारे में कोई विशेष पुण्य वर्णित हैॽ
नमाज़ के अंदर मन में सोचने के बारे में एक निराधार हदीस
शबे-क़द्र की दुआ में “करीम” शब्द की वृद्धि प्रमाणित नहीं है।
क्या यह बात सही है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर स्वैच्छिक रोज़े इकट्ठा हो जाते थे तो आप उन्हें शाबान में कज़ा करते थेॽ
शाबान के महीने में प्रत्येक जुमेरात को दो रकअत नमाज़ पढ़ने के बारे में एक मनगढ़ंत हदीस
हदीस: (ऐ अल्लाह! रजब और शाबान में हमें बर्कत दे, और हमें रमज़ान तक पहुँचा) ज़ईफ है, सही नहीं है।
सलातुस्साबीह के बारे में कोई भी हदीस सहीह नहीं है
यह हदीस कि ”इस्लाम में सैर सपाटा नहीं है” सहीह नहीं है।
पगड़ी के साथ नमाज़ पढ़ने की फज़ीलत में कोई हदीस सह़ीह़ नहीं है
ईद की रात को क़ियामुल्लैल करने की फज़ीलत में एक ज़ईफ हदीस
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