वह पूछती है कि कुछ हदीसों में औरतों का वर्णन निंदात्मक गुणों के साथ क्यों किया गया है ?
केवल नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अवशेष से तबर्रुक लेना जायज़ है, किसी अन्य के नहीं
हदीस “जिसने मेरी मृत्यु के बाद मेरी क़ब्र की ज़ियारत की तो मानो उसने मेरे जीवन में मेरी ज़ियारत की” की प्रामाणिकता क्या है ॽ
हदीस : “हामा, सफर, नौअ और ग़ूल कुछ भी नहीं है” का अर्थ
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